घर में बहुत चांव चांव है। मुझे मेरी बहन की आयी राखी बिटिया ने बांधी। बहन की याद आ रही है। उसके बहाने अपनी माँ-पिताजी की भी याद आ रही है। कोई भी त्यौहार क्या होता है, उम्र बढ़ने के साथ वह अतीत का यादोत्सव होने लगता है।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
घर में बहुत चांव चांव है। मुझे मेरी बहन की आयी राखी बिटिया ने बांधी। बहन की याद आ रही है। उसके बहाने अपनी माँ-पिताजी की भी याद आ रही है। कोई भी त्यौहार क्या होता है, उम्र बढ़ने के साथ वह अतीत का यादोत्सव होने लगता है।