रवींद्रनाथ दुबे – एन.आर.वी. और शहर-गांव का द्वंद्व


रवींद्रनाथ जी अपने गांव से हर समय किसी न किसी प्रकार जुड़े रहे हैं। वे मेरी तरह “बाहरी” नहीं हैं।