“भईया, जो पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कारी होता है, उसमें सरलता होती है। अहंकार नहीं होता। ये पुजारी जी भी वैसे ही हैं। उनसे मिल कर अच्छा लगा।” – प्रेमसागर ने कहा। शाम की आरती के लिये पुजारी जी ने उन्हें बुलाया भी है।
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कुलुबंदी से नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ, बीरभूम, बंगाल
नंदिनी माता का शाब्दिक अर्थ है ‘जो आनंद की देवी हैं’। और आज प्रेमसागर जाने अनजाने में आनन्दित ही लगे अपनी बातचीत में मुझे। एक बड़ा सा प्रस्तर खण्ड है, गोल सा, जिसपर सिंदूर पुता है कि सब कुछ लाल नजर आता है। देवी का वही प्रतीक है।
कुसुमडीह से कुलुबंदी – झारखण्ड बंगाल बॉर्डर
प्रेमसागर के स्वर में निराशा थी – “मंदिर में पुजारी नहीं हैं, पण्डा हैं। वे मंदिर बंद कर अपने घर चले जाते हैं। परिसर में रात गुजारना ठीक नहीं था। चार पांच विक्षिप्त से लोग वहां दिख रहे थे। पागल से।”