अमरपाटन से रींवा


जूठी चाय और फिर पानमसाला-जर्दा। अचानक प्रेमसागर को लगा कि उस भिखमंगे का एक फोटो ले लेना चाहिये। पर तब देखा कि वह भिखमंगा गायब हो गया है। …
रींवा पंहुच कर लोगों को यह घटना बताई तो उनका कहना था – महादेव और माई बीच बीच में अपने गणों को भेजते रहते हैं। उससे ज्यादा उद्विग्न नहीं होना चाहिये। यह तो लीला है!

प्रेमसागर – मैहर से अमरपाटन


रास्ते में तीन नौजवान मिले। उनमें से एक का नाम प्रेमसागर को याद है शिवम। वे लोग साइकिल से थे, पर प्रेमसागर का बैग उठा कर तीन किमी साथ चले। उनका फोटो भी खींच लिया है।

प्रेमसागर – मैहर दर्शन के साथ शक्तिपीठों की पदयात्रा प्रारम्भ


आज से यात्रा विधिवत प्रारम्भ कर दी है प्रेमसागर ने। मैहर से। अकेले। उनका कहना है कि सही यात्रा तो अकेले ही होती है भईया। अन्यथा लोगों के साथ चलने में मन भटकता है। प्रेमसागर ने एक लाठी ले रखी है। शक्तिपीठ यात्रा के अनुशासन से सिर और दाढ़ी घुटा रखा है। लाल वस्त्र पहने हुये हैं और बगल में एक नया स्लिंग बैग ले रखा है।

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