मैं गांव के सबर्बन रूपांतरण की कल्पना करता हूं। अगर प्रयाग-वाराणसी का वैसा विकास हुआ जैसा वडोदरा-अहमदाबाद का है तो उमेश की दुकान साणद की एक दुकान सरीखी होगी एक दशक में। कटका साणद जैसा सबर्ब बन जायेगा।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
मैं गांव के सबर्बन रूपांतरण की कल्पना करता हूं। अगर प्रयाग-वाराणसी का वैसा विकास हुआ जैसा वडोदरा-अहमदाबाद का है तो उमेश की दुकान साणद की एक दुकान सरीखी होगी एक दशक में। कटका साणद जैसा सबर्ब बन जायेगा।