प्रवासी मजदूर – मुख्यमंत्री की लताड़ से ही हरकत में आया प्रशासन


पिछले डेढ़ महीने से सड़कों पर आती भीड़ नहीं दिखी जिलाधीशों को? मानवता की “न भूतो न भविष्यति” वाली त्रासदी सड़कों पर लटपटाती डोलती रही और इन मित्रों को नजर नहीं आया?

उन्होने लॉकडाउन में हजारों घर लौटते श्रमिकों को भोजन कराया


सुशील ने जितना बताया उससे यह तो स्पष्ट हुआ कि गांव में भी उत्साही और रचनात्मक लोगों की कमी नहीं है। वर्ना मेरा सोचना था कि यह गांव बड़बोले और अकर्मण्य निठल्लों का गांव है। गांव के प्रति मेरी धारणा बदल गयी।

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