“पसियान का फलाने है, वह कमर में बांधने को एक तावीज देता है। वह बहुत कारगर है। … पुरानी हो जाये तो एक और तावीज ले आता हूं। वही तावीज बांध रखी है। तब से बवासीर तकलीफ नहीं दे रही।”
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
“पसियान का फलाने है, वह कमर में बांधने को एक तावीज देता है। वह बहुत कारगर है। … पुरानी हो जाये तो एक और तावीज ले आता हूं। वही तावीज बांध रखी है। तब से बवासीर तकलीफ नहीं दे रही।”