नंदू नाऊ मुझे तरह तरह की सूचना और जानकारी देता है सवेरे और शाम की घण्ट यात्रा के दौरान. बताता है कि ज्ञान बालू वाले के पास उसका घर है. पंद्रह साल से घाट और घण्ट के दाह/श्राद्ध का नाऊ का काम कर रहा है. इतने समय में करीब 1500 दाह और घण्ट के अनुष्ठान करवा चुका है. अभी तो मरने का सीजन नहीं है. बरसात और उसके आसपास के मौसम में मौतें कम ही होती हैं. तेज सर्दी और गर्मी में उम्रदराज लोग ज्यादा जाते हैं. उस समय नंदू को कभी कभी दम मारने को फुर्सत नहीं होती.

जब उम्र गुजार कर कोई जाता है तो परिवार को भले ही कष्ट होता है, पर वह इतना अखरता नहीं. पर जब बच्चा या जवान खत्म होता है तो मन छटपटाता है. कभी कभी एक सप्ताह शादी को हुआ और नौजवान चला गया. और कभी तो छोटे बच्चे जिसका जनेऊ हो जाने के कारण श्राद्ध कर्म करना होता है, का क्रिया कर्म भी कराया नंदू ने. वह तकलीफ देह था.
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