उम्र बढ़ रही है और लगता है कि अस्पताल के चक्कर लगने की संभावनायें भी बढ़ जाएंगी। 😕
अपने जीवन की दूसरी पारी में, गांव में रहने का निर्णय लेने में यह द्वन्द्व था कि गांव में मैडीकल सुविधायें नहीं मिलेंगी। पर यह भी लग रहा था कि वहां अगर नैसर्गिक जीवन जिया गया, और तनाव कम रहा तो मैडीकल सुविधाओं की जरूरत भी कम रहेगी।
और, पहले चार साल बढ़िया कटे। शायद ही किसी दिन बीमार रहा। पर चार साल बीतते बीतते सारी अस्वस्थता की कसर पूरी हो गयी। मेरे पिताजी अस्पताल में भर्ती हुये और चल बसे। मेरी आशावादी सोच थी कि वे नब्बे की उम्र पायेंगे, पर वे पच्चासी ही पार कर पाये। उसके बाद उनके न रहने के अवसाद और कर्मकाण्डों के तनाव का परिणाम यह हुआ कि तीन सप्ताह के अंतराल में दो बार मुझे UTI – urinary tract infection की अधिकता के कारण अस्पताल मेँ भर्ती होना पड़ा।
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