एक उमर थी जब इब्ने सफी, बी.ए. की जासूसी दुनियां सबेरे पहले पीरियड में शुरू करते थे और तीसरे पीरियड तक खतम हो जाती थी. किराये वाली दुकान से आधी छुट्टी में दूसरी लाते थे और स्कूल से लौटते समय तक वह भी समाप्त हो जाती थी. सातवीं-आठवीं कक्षा में जुनून था जासूसी उपन्यास का.Continue reading “क्या केवल जुनून काफी है जीने के लिये?”
Monthly Archives: Jun 2007
अज़दक, बुढ़ापा और ब्लॉगरी की मजबूरी
जबसे अज़दक जी ने बूढ़े ब्लॉगर पर करुणा भरी पोस्ट लिखी है, तब से मन व्यथित है. शीशे में कोई आपका हॉरर भरा भविष्य दिखाये तो और क्या होगा! इस तरह सरे आम स्किट्सोफ्रेनिया को बढ़ावा देने का काम अज़दक जैसे जिम्मेदार ब्लॉगर करेंगे तो हमारे जैसे इम्पल्सिव ब्लॉगर तो बंटाढ़ार कर सकते हैं. उनकेContinue reading “अज़दक, बुढ़ापा और ब्लॉगरी की मजबूरी”
पंत जी के अपमान पर सेण्टी होते हिंदी वाले ब्लॉगर
हिन्दी ब्लॉगरी में अनेक खेमे हैं और उनके अनेक चौधरी हैं (जीतेंद्र चौधरी से क्षमा याचना सहित). ये लोग टिल्ल से मामले पर बड़ी चिल्ल-पों मचाते हैं. अब पता नहीं कूड़े का नारा कहां से आया, पर एक रवीश जी ने पंत को रबिश क्या कहा कि हल्ला मच गया. मानो पंत जी का हिन्दीContinue reading “पंत जी के अपमान पर सेण्टी होते हिंदी वाले ब्लॉगर”
