मैं आज1 दिल्ली में रहा. रेल भवन में अपने मित्रों से मिला. मैने कुछ समय पहले श्रीयुत श्रीलाल शुक्ल पर एक पोस्ट लिखी थी जिसमें जिक्र था कि उनका दामाद सुनील मेरा बैचमेट है. मैं रेल भवन में उन सुनील माथुर से भी मिला. सुनील आजकल एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर हैं भारतीय रेल के और स्टील का माल यातायात वहन का कार्य देखते हैं. निहायत व्यस्त व्यक्ति हैं. रोज के यातायात परिचालन के खटराग के अतिरिक्त उनके पास दर्जनों माल-वहन विषयक रिपोर्टें अध्ययन हेतु पड़ी थीं, जिनको पढ़ कर उन्हे भविष्य में आने जा रही रेल परियोजनाओं पर अपनी अनुशंसा देनी थी. इतनी रिपोर्टों के सामने होने पर मैं अपेक्षा नहीं करता था कि सुनील ने श्रीलाल शुक्ल जी का साहित्य पढ़ा होगा.
पर सुनील तो बदले हुये व्यक्ति लगे. ट्रेनिंग के दौरान तो मैं उन्हे रागदरबारी के विषय में बताया करता था. अब उन्होने मुझे बताया कि उन्होनें श्रीलाल शुक्ल जी का पूरा साहित्य पढ़ लिया है. मैने सुनील को अपनी उक्त लिंक की गयी पोस्ट दिखाई तो अपने सन्दर्भ पर सुनील ने जोरदार ठहाका लगाया. उसमें प्रियंकर जी की एक टिप्पणी में यह था कि “सेण्ट स्टीफन” का पढ़ा क्या रागदरबारी समझेगा (सुनील के विषय में यह टिप्पणी थी); रागदरबारी तो समझने के लिये “गंजहा” होना चाहिये – इसपर सुनील ने तो ठहाके को बहुत लम्बा खींचा. उनकी हंसती फोटो मैने उतार ली! ![]()
(श्री सुनील माथुर)
श्रीलाल शुक्ल जी के विषय में बात हुई. सुनील ने बताया कि आजकल वे शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं महसूस कर रहे. हृदय सम्बन्धित समस्यायें हैं. पर मानसिक रूप से उतने ही चैतन्य और ऊर्जावान हैं, जितना पहले थे. लेखन जरूर आजकल नहीं चल रहा है. सुनील ने बताया कि उन्होने और उनकी पत्नी ने शुक्ल जी को कई बार दिल्ली आ जाने के लिये कहा पर वे आये नहीं. लखनऊ में इन्द्रा नगर में उनके घर से सटा एक डाक्टर साहब का घर है और डाक्टर साहब के घर से सटा उनका अस्पताल. पिछली बार जब श्रीलाल शुक्ल जी को हृदय की तकलीफ हुई थी तब बगल में डाक्टर साहब के मकान/अस्पताल होने के कारण समस्या का समय रहते निदान हो पाया था.
सुनील ने बताया कि दो वर्ष पहले दिल्ली में श्रीलाल शुक्ल जी के अस्सी वर्ष का होने पर जन्म दिन समारोह हुआ था. उसमें शुक्ल जी आये थे. उस अवसर के बारेमें एक पुस्तक भी प्रकाशित हुई है. सुनील के पास चैम्बर में उसकी प्रति नहीं थी. वे बाद में मुझे भिजवायेंगे यह वादा सुनील ने किया है.
कुल मिला कर सुनील के माध्यम से श्रीलाल शुक्ल और उनके ग्रन्थों की पुन: याद का अवसर मिला – यह मेरे लिये बहुत सुखद रहा. उस समय सुनील के कमरे में हमारे एक उड़िया मित्र श्री गुरुचरण राय भी आ गये थे. श्री राय ने बताया कि उन्होने रागदरबारी उड़िया अनुवाद में सम्पूर्ण पढ़ा है! श्रीलाल शुक्ल जी के भक्त हिन्दी भाषा की सीमाओं के पार भी बहुत हैं!
1. यह पोस्ट 20 सितम्बर को नयी दिल्ली स्टेशन के सैलून साइडिंग में लिखी गयी थी; विण्डोज़ लाइवराइटर पर. आज पब्लिश कर रहा हूं.

क्या किसी ने श्रीलाल जी को बताया है कि वे हिन्दी चिट्ठाजगत में कितने लोकप्रिय हैं?
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प्रणाम स्विकार करें..उस दिन आपकी टिप्पणी पढ कर अच्छा लगा, वो मेरे जैसे शौकिया और नये लेखक के लिये उत्साहवर्धन जसा ही कुछ था।उस दिन मैं अपने ब्लौग के रंग-रूप पर कुछ काम कर रहा था, जब आपने अपने विचार रखे थे.. अब मेरे ब्लौग के सारे फ़ौन्ट सही है.. कृपया अब आप वहां पढारें, आपको कोई शिकायत नहीं होगी।
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ज्ञान जी श्रीलाल जी हिंदी के बहु पठित लेखक हैं। मेरी जानकारी में उनके जितना पढ़ा लिखा लेखक और कोई नहीं। साथ ही वे अगर मूड़ में हो तो गपियाते भी खूब हैं। मैं उनके बेहतर स्वास्थ्य की कामना रखता हूँ।
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नमस्कार ज्ञानदत्तजी, श्रीलाल शुक्लजी के बारे में अपडेट हेतु अनेक धन्यवाद। राग दरबारी की स्मृतियाँ तिबारा ताजा हो गईं।
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आपके प्रयास सराहनीय है और में अपने ब्लॉग पर आपका ब्लॉग लिंक कर दिया है।
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साहित्य, साहित्यकार और जिंदगी के रिश्तों को समझने में मददगार अच्छा संस्मरण। शुक्रिया…
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विवरण बढ़िया है!!पुराने बैचमेट से मिलना और पुराने दिनों की याद ताज़ा करना एक अलग ही सकून/अनुभूति दे जाता है, आशा करता हूं कि आपने भी इसे अनुभव किया होगा!राग-दरबारी सीरियल की डी वी डी के बारे में युनूस भाई से जानकारी लेनी होगी क्योंकि बड़े भाई को गिफ़्ट करने के लिए सही चीज है यह!
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अच्छा चित्र खींचा आपने. गंजहों की यही कामना है की बैद्य जी बने रहें और खन्ना मास्टर के आदमियों का नाश हो.साल भर पहले शुक्ला जी को देखा था- इंदिरा नगर में ही किसी सरकारी आयोजन में. एकदम tinich लग रहे थे. इश्वर उन्हें स्वस्थ रखे और फ़िर कोई राग सुनवाए.
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शुक्ल जी और परसाई जी हिंदी व्यंग्य लेखन के दो प्रमुख स्तंभ हैं । हम इन दोनों के शैदाई हैं । रागदरबारी पर बनाया गया सीरीयल अब डी वी डी पर उपलब्ध है । आपको याद होगा । अच्छा सीरीयल बना था । मित्रों से इसकी पैरवी की जा सकती है ।
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बढ़िया है।
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