रावण गणित में कमजोर होने के कारण हारा था क्या?


सेतु नहीं बना था तब तक. भगवान राम की सेना लंका नहीं पंहुची थी. विभीषण ने पाला बदल लिया था. राम जी ने समुद्र तट पर उनका राजतिलक कर दिया था. पीछे आये रावण के गुप्तचर वानरों ने थाम लिये थे और उनपर लात घूंसे चला रहे. लक्ष्मण जी ने उन्हे अभयदान दे कर रावण के नाम पत्र के साथ जाने दिया था. वे गुप्तचर रावण को फीडबैक देते हैं:

अस मैं सुना श्रवन दसकंधर । पदुम अठारह जूथप बंदर ।।
अर्थात; हे दशानन रावण, ऐसी खबर है कि राम की सेना में अठारह पद्म बन्दर हैं. (गुप्तचर निश्चय ही लक्ष्मण जी ने फोड़ लिये थे और वे रावण को डबल क्रॉस कर रहे थे!).

रावण को जरूर झुरझुरी आयी होगी. अनन्त जैसी संख्या है यह. पर जरा तुलसी बाबा की इस संख्या पर मनन करें. अठारह पद्म यानी 1.8×1018 बंदर. पृथ्वी की रेडियस है 6400 किलोमीटर. यह मान कर चला जाये कि एक वर्ग मीटर में चार बन्दर आ सकते है. यह लेकर चलें तो पूरी पृथ्वी पर ठसाठस बन्दर हों – समुद्र और ध्रुवों तक में ठंसे – तब 2.06×1015 बन्दर आ पायेंगे.
अर्थात अठारह पद्म बन्दर तब पृथ्वी पर आ सकते हैं जब सब पूरी पृथ्वी पर ठंसे हों और वर्टिकली एक पर एक हजार बन्दर चढ़े हों!
आप समझ गये न कि रावण ने कैल्कुलेशन नहीं की. उसने आठवीं दर्जे के विद्यार्थी का दिमाग भी नहीं लगाया. यह भी नहीं सोचा कि उसके राज्य का क्षेत्रफल और एक बन्दर के डायमेंशन क्या हैं. वह अपने अनरिलायबल गुप्तचरों के भरोसे नर्वसिया गया और नर्वस आदमी अन्तत: हारता है. वही हुआ.
तो मित्रों रावण क्यों हारा? वह मैथ्स में कमजोर था! आप को मेरा शोध पसन्द आया? नहीं?

अरे ऐसे ही “साइण्टिफिक शोध” से तो आर्कियॉलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया प्रमाणित कर रहा है कि राम नहीं थे. ऐसे ही वाल्मीकि रामायण से अंश निकाल-निकाल कर काले चश्मे वाले राजनेता प्रमाणित कर रहे हैं कि राम नहीं थे; या थे तो सिविल इन्जीनियरिंग में अनाड़ी थे. आप हैं कि मेरी थ्योरी पर अविश्वास कर रहे हैं!

खैर, जब आस्था के साथ गणित/साइंस घुसेड़ेंगे तो ऐसे ही तर्क सामने आयेंगे! तुलसी बाबा के काव्य-लालित्य को स्केल लेकर नापेंगे तो जैसा शोध निष्कर्ष हमने निकाला है, वैसा ही तो निकलेगा!

कल देर शाम श्रीमती विनीता माथुर, जो श्रीयुत श्रीलाल शुक्ल जी की पुत्री हैं, ने अपनी टिप्पणी श्रीलाल शुक्ल जी के बारे में मेरी कल की पोस्ट पर की. उन्हे बहुत अच्छा लगा कि “उनके पापा के इतने फैन्स हैं हिन्दी ब्लॉग जगत में और लोग उनके पापा के बारे में सोच रहे हैं, पढ़ रहे हैं और लिख रहे हैं. उससे उन्हें बहुत ही गर्व हो रहा हैं.” आप कृपया उस पोस्ट पर विनीताजी की टिप्पणी पढ़ें.


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

16 thoughts on “रावण गणित में कमजोर होने के कारण हारा था क्या?

  1. इसमें कुछ लोचा हो सकता है। :) अठारह पद्म यानि पद्म पुरस्‍कार प्राप्‍त बंदर भी हो सकते हैं। तब पद्म पुरस्‍कार भी जोड़ तोड़ और टांके के बजाय शौर्य के आधार पर दिया जाता होगा। इसलिए रावण को पसीना आ गया होगा। अहर्ता पूरी नहीं करने के कारण रावण को पद्म पुरस्‍कार में नामांकित ही नहीं किया गया होगा। सोने की नगरी के मालिक के गुप्‍तचरों को फोड़ा भी नहीं जा सकता था। अब सवाल यह है कि मैं रावण का इतना पक्ष क्‍यों ले रहा हूं। तो कारण साफ है रावण ब्राह्मण था और धनु लग्‍न का भी। सो मुझसे काफी मिलता जुलता रहा होगा। :)

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  2. क्या बात है ! आस्था और तर्क,मिथक और इतिहास की बमचक में बहुत अच्छा लिखा है .पर आपने मुझे तो चिंता में डाल दिया . मेरी गणित बहुत कमजोर है , रावण से भी ज्यादा . मेरा क्या होगा ? हालांकि मैंने तो सिर्फ़ एक का राजी-खुशी वरण किया है . कोई हरण करने की न तो इच्छा है और न तथा (सामर्थ्य).

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  3. आज अगर रावण जिंदा होता तो रावण रेल्वे के आप चेयरमैन होते -यह तय हैं. क्या शोध करते हैं और गणित में कितना तेज हैं आप!!आपके गणितिय ज्ञान का प्रकाश चौतरफा दिख रहा है. बनाये रखें. :)

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  4. सरजी विकट गणितीय पोस्ट है। पर बताइए कि इत्ती ही गणित समझ में आती तो क्या सिर्फ लेखक ही बने रहते क्या।

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