एक कतरा रोशनी


मेरे घर में मेरे सोने के कमरे में एक जरा सा रोशनदान है। उससे हवा और रोशनी आती है और वर्षा होने पर फुहार। कमरे का फर्श और कभी-कभी बिस्तर गीला हो जाता है वर्षा के पानी से। एक बार विचार आया था कि इस गलत डिजाइन हुये रोशनदान को पाट दिया जाये। पर परसोंContinue reading “एक कतरा रोशनी”

आत्मवेदना: मि. ज्ञानदत्त आपकी हिन्दी बोलचाल में पैबन्द हैं।


ब्लॉग पर हिन्दी में लिखने के कारण शायद मुझसे ठीक से हिन्दी में धाराप्रवाह बोलने की भी अपेक्षा होती है। लोगों के नजरिये को मैं भांप लेता हूं। अत: जब वेब-दुनिया की मनीषाजी ने मुझसे 10-15 मिनट फोन पर बात की तो फोन रख सामान्य होने के बाद जो पहला विचार मन में आया वहContinue reading “आत्मवेदना: मि. ज्ञानदत्त आपकी हिन्दी बोलचाल में पैबन्द हैं।”

आगरा में आब है!


आगरा को मैने बाईस वर्ष पहले पैदल चल कर नापा था। तब मैं ईदगाह या आगरा फोर्ट स्टेशन के रेस्ट हाउस में रुका करता था। वहां से सवेरे ताजमहल तक की दूरी पैदल सवेरे की सैर के रूप में तय किया करता था। आगरा फोर्ट के मीटर गेज की ओर फैले संकरे मार्किट में काफीContinue reading “आगरा में आब है!”

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