काशी तो शाश्वत है। वह काशी का राजा नहीं रहा होगा। वरुणा के उस पार तब जंगल रहे होंगे। उसके आसपास ही छोटा-मोटा राजा रहा होगा वह। बहुत काम नहीं था उस राजा के पास। हर रोज सैनिकों के साथ आखेट को जाता था। जंगल में हिंसक पशु नहीं थे। सो हिरण बहुत थे। वहContinue reading “हैं कहीं बोधिसत्व!”
Monthly Archives: Apr 2008
ई-पण्डित कहां हैं आजकल?
ई-पण्डित ई-पण्डित (श्रीश बेंजवाल शर्मा) के ब्लॉग पर अंतिम पोस्ट 21 अक्तूबर 2007 की है। अर्थात लगभग आधा वर्ष हो गया उनको ब्लॉग-निष्क्रिय हुये। श्रीश वे प्रारम्भिक सज्जन हैं जो मुझे हिन्दी ब्लॉगरी की ओर लाये। वे मेरे ब्लॉग पर काफी नियमित टिप्पणी करते रहे हैं। मैने यह भी पाया है कि वे हिन्दी ब्लॉगिंगContinue reading “ई-पण्डित कहां हैं आजकल?”
गुबरैला एक समर्पित सफाई कर्मी है
अपने ब्लॉग पर जिस विविधता की मैं आशा रखता हूं, वह बुधवासरीय अतिथि पोस्ट में श्री पंकज अवधिया पूरी कर रहे हैं। पिछली पोस्ट में जल-सुराही-प्याऊ-पानी के पाउच को लेकर उन्होने एक रोचक सामाजिक/आर्थिक परिवर्तन पर वर्तनी चलाई थी। आज वे अपशिष्ट पदार्थ के बायो डीग्रेडेशन और उसमें गुबरैले की महत्वपूर्ण भूमिका का विषय हमेंContinue reading “गुबरैला एक समर्पित सफाई कर्मी है”
