घोस्ट बस्टर बड़े शार्प इण्टेलिजेंस वाले हैं। गूगल साड़ी वाली पोस्ट पर सटीक कमेण्ट करते हैं – हम तो इस साड़ी के डिजाइनर को उसकी रचनात्मकता के लिए बधाई देंगे और आपको इस बढ़िया चित्र के लिए धन्यवाद…. निश्चिंत रहिये, गरीबों की पीठ पर विज्ञापन कभी नहीं आयेंगे. दर्शकों को मूर्ख समझे, बाजार इतना मूर्खContinue reading “गरीबों की पीठ पर विज्ञापन कभी नहीं आयेंगे – घोस्ट बस्टर”
Monthly Archives: Jun 2008
टेलीवीजन विज्ञापन – कहां तक पहुंचेगी यह स्थिति!
मैं टीवी का दर्शक नहीं रहा – कुछ सालों से। मेरे परिवार ने उसका रिमोट मेरे हाथ से छीन लिया और मैने टीवी देखना बन्द कर दिया। बिना रिमोट टीवी क्या देखना? रिमोट की जगह कम्प्यूटर के माउस का धारण कर लिया मैने।टेलीविजन विज्ञापन पर यह पोस्ट मेरे ब्लॉग पर श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ ने बतौरContinue reading “टेलीवीजन विज्ञापन – कहां तक पहुंचेगी यह स्थिति!”
वह दौड़
नाइटिंगेल नाइटटिंगेल कॉनेण्ट के ई-मेल से मिलने वाले सन्देशों का मैं सबस्क्राइबर हूं। कुछ दिन पहले “द रेस” नामक एक कविता का फिल्मांकन उन्हों ने ई-मेल किया। आप यह फिल्मांकन देख सकते हैं। यह श्री डी ग्रोबर्ग की कविता है जो मैने नेट पर खोजी। फिर उसका अनुवाद किया। कविता बहुत सशक्त है और अनुवादContinue reading “वह दौड़”
