पोलियो प्रोग्राम कब तक?


pulsepolioमैने रेडियो में नई बैटरी डाली। सेट ऑन किया तो पहले पहल आवाज आई इलाहाबाद आकाशवाणी के कृषिजगत कार्यक्रम की। आपस की बातचीत में डाक्टर साहब पल्स-पोलियो कार्यक्रम के बारे में बता रहे थे और किसान एंकर सलाह दे रहे थे कि रविवार “के गदेलवन के पल्स-पोलियो की खुराक जरूर पिलवायेन”!

थोड़ी देर में वे सब राम-राम कर अपनी दुकान दऊरी समेट गये। तब आये फिल्म सुपर स्टार जी। वे दशकों से सब को नसीहत दे रहे हैं पल्स-पोलियो खुराक पिलाने की। पर यूपी-बिहार की नामाकूल जनता है कि इस कार्यक्रम को असफल करने पर तुली है।

$6350 लाख के खर्चे पर बिल और मेलिण्डा गेट्स फाउण्डेशन के अग्रगामी कदम से भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया केन्द्रित पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जायेगा।
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डब्ल्यू.एच.ओ. और यूनीसेफ से जुड़ने में लाभ है?smile_regular

ले दे कर एक सवाल आता है – जो किसानी प्रोग्राम में डाक्टर साहब से भी पूछा गया। “इससे नामर्दी तो नहीं आती”। अब सन उन्यासी से यह कार्यक्रम बधिया किया जा रहा है। जाने कितना पैसा डाउन द ड्रेन गया। उसमें कौन सी मर्दानगी आई?

ये दो प्रान्त अपनी उजड्डता से पूरी दुनियां को छका रहे हैं। यहां जनसंख्या की खेप पजान है लेफ्ट-राइट-सेण्टर। सरकार है कि बारम्बार पल्स-पोलियो में पैसा फूंके जा रही है। और लोग हैं कि मानते नहीं।

भैया, ऐंह दाईं गदेलवन के पल्स पोलियो क खुराक पिलाइ लियाव। (भैया, इस बार बच्चों को पल्स पोलियो की खुराक पिलवा लाइये!)

नहीं पिला पाये? कोई बात नहीं। अगली बारी, अटल बिहारी।  


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

37 thoughts on “पोलियो प्रोग्राम कब तक?

  1. ये दो प्रान्त अपनी उजड्डता से पूरी दुनियां को छका रहे हैं। -एकदमे सही!!पोलियो अभियान कितना जरुरी है और लोग उसे उडाये दे रहे हैं ऐसे.बड़ा अफसोस होता है.

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  2. ज्ञानजी, पोलियो उन्मुलन कार्यक्रम की महत्ता पर शायद आपका सवाल नहीं हैं.. इस कार्यक्रम की विफलता पर है..(मैं ऐसा समझा).. इन कार्यक्रमों से जुड़ने का अनुभव रहा है तो इस पर मेरे विचार..क्या है समस्या..ऐसे क्रार्यक्रमों के implementation पर प्रश्न है.. आखिर क्यों ये कार्यक्रम इतने समय से चल रहा है.. और कब खत्म होगा..गैर सरकारी संगठन इन पर करोडो़ डालर खर्च करते है.. लेकिन ये भी समझना होगा कि ये खर्चा भी सरकारी तंत्र के माध्यम से ही होता है.. इनका स्वंय का खर्च केवल कुछ तकनिकी विशेषग्यों और उसके मुल्यांकन तक सिमित होता है..लेकिन आखिर ये कार्यक्रम कब तक.. क्यों इतना समय लग रहा है.. हमारा देश भौगोलिक रुप से और जनसंख्या दोनों लिहाज से काफी विशाल है.. और कई इलाके तो पहुचना भी दूर्गम है… ऐसे में… सभी बच्चों को दवा पिलाना संभव नहीं हो पा रहा.. कई बच्चों हर बार छूट जाते है.. और कार्यक्रम सफल नहीं हो पा रहा.. (और भी कुछ तकनिकी मुद्दे है जो बाद में लिखने का प्रयास करुंगा..)और प्रयास निरन्तर जारी है..तो फिर क्यों हर बार दवा.. पोलियो उन्मुलन तो नहीं हो पा रहा लेकिन पोलियो के केस जरुर कम हुऐ है.. कई राज्यों में लगभग शुन्य भी हो गये है.. ये भी ए्क बड़ी उपलब्धी है.. और तो और इस वजह से जो स्वास्थ्य जागरुकता आ रही है… नियमित टिकाकरण की दर भी बढ़ रही है.. (कई शोध इस बारें में हुऐ है..)तो हम क्या कर सकते है… हम इस कार्यक्रम की बेशक आलोचना करें.. इस पर प्रश्न उठायें.. इसकी विफलताऐं बताऐं.. सभी करें.. पर जिम्मेदारी से पोलियो रविवार के दिन बच्चों को दवा पिलायें.. इससे कोई हानी नहीं होती…. “नहीं पिला पाये? कोई बात नहीं।अगली बारी, अटल बिहारी”.. ये न सोचे.. हम कहें “हर बच्चा हर बार”..इस बारें में जल्द ही एक शोधपरख आलेख लिखने का प्रयास करुंगा..आदर सहित..रंजन

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  3. चलिए सर जी अच्छा हुआ आज उस खूसट उरई वाले बुड्ढे की टांग खिंचाई का बंदोबस्त आप ने कर दिया. आभार.

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  4. पैरा ओलिम्पिक्स में कई पदक लाकर हम खुश हो जाते है बिना इसके पीछे का साफ़ सच देखे कि पूरी दुनिया से शारीरिक बाधाएं तेज़ी से ख़त्म हो रही है और हम ही बचे रह गए है. एक तीखी किंतु ज़रूरी पोस्ट.

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  5. पोलियो मिटाओ अभियान एक दूध देते गाय है स्वास्थ्य व अन्य सरकारी विभागों को . हर महीने लाखो करोडो के वारे न्यारे . बेकार वेक्सीन तथा रखरखाब .सिर्फ़ खानापूर्ति है यह अभियान . पोलियो घोटाले मे कई बोफोर्स छिपे है . और इस का बंदर बाट ऊपर से नीचे बड़ी शान्ति से हो रहा है .

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