नया कुकुर


नया पिलवा – नाम गोलू पांड़े भरतलाल (मेरा बंगला-चपरासी) नया कुकुर लाया है। कुकुर नहीं पिल्ला। भरतलाल के भाई साहब ने कटका स्टेशन पर पसीजर (मडुआडीह-इलाहाबाद सिटी पैसेंजर को पसीजर ही कहते हैं!) में गार्ड साहब के पास लोड कर दिया। गार्ड कम्पार्टमेण्ट के डॉग-बाक्स में वह इलाहाबाद आया। गार्ड साहब ने उसे यात्रा मेंContinue reading “नया कुकुर”

पब और प्रार्थना


फुदकती सोच पब और प्रार्थना को जोड़ देती है!1  प्रेयर्स एण्ड मेडिटेशंस, द मदर, पॉण्डिच्चेरी; की प्रार्थनाओं में मान्त्रिक शक्ति है! मैं नहीं जानता पब का वातावरण। देखा नहीं है – बाहर से भी। पर यह समझता हूं कि पब नौजवानों की सोशल गैदरिंग का आधुनिक तरीका है। यह शराब सेवन और धूम्रपान पर आर्धारितContinue reading “पब और प्रार्थना”

आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री उवाच


कल कुछ विष्णुकान्त शास्त्री जी की चुनी हुई रचनायें में से पढ़ा और उस पर मेरी अपनी कलम खास लिख नहीं सकी – शायद सोच लुंज-पुंज है। अन्तिम मत बना नहीं पाया हूं। पर विषय उथल-पुथल पैदा करने वाला प्रतीत होता है। लिहाजा मैं आचार्य विष्णुकांत शास्त्री के पुस्तक के कुछ अंश उद्धृत कर रहाContinue reading “आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री उवाच”

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