जवाहिरलाल गंगदरबारी(बतर्ज रागदरबारी) चरित्र है। कछार में उन्मुक्त घूमता। सवेरे वहीं निपटान कर वैतरणी नाले के अनिर्मल जल से हस्तप्रक्षालन करता, उसके बाद एक मुखारी तोड़ पण्डाजी के बगल में देर तक मुंह में कूंचता और बीच बीच में बीड़ी सुलगा कर इण्टरवल लेता वह अपने तरह का अनूठा इन्सान है। कुत्तों और बकरियों काContinue reading “जवाहिरलाल बीमार है”
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शिवकुटी घाट पर छठ
आज ब्लॉगरी के सेमीनार से लौटा तो पत्नीजी गंगा किनारे ले गयीं छठ का मनाया जाना देखने। और क्या मनमोहक दृष्य थे, यद्यपि पूजा समाप्त हो गयी थी और लोग लौटने लगे थे। चित्र देखिये: तट का विहंगम दृष्य: घाट पर कीर्तन करती स्त्रियां: घाट पर पूजा: सूप में पूजा सामग्री: लौटते लोग:
अवधेश और चिरंजीलाल
मैं उनकी देशज भाषा समझ रहा था, पर उनका हास्य मेरे पल्ले नहीं पड़ रहा था। पास के केवट थे वे। सवेरे के निपटान के बाद गंगा किनारे बैठे सुरती दबा रहे थे होठ के नीचे। निषादघाट पर एक किनारे बंधी नाव के पास बैठे थे। यह नाव माल्या प्वाइण्ट से देशी शराब ट्रांसपोर्ट काContinue reading “अवधेश और चिरंजीलाल”
