हरी ऊर्जा क्रान्ति, भारत और चीन

बाजू में मैने मेकेंजी क्वाटर्ली (McKinsey Quarterly)  की लेखों की विजेट लगा रखी है। पता नहीं आप में से कितने उसे देख कर उसके लेखों को पढ़ते हैं। मैं बहुधा उसके लेखों को हार्ड कापी में निकाल कर फुर्सत से पढ़ता हूं। इसमें भारत और चीन विषयक लेख भी होते हैं।

McKinsey

भारत प्रगति कर रहा है, बिला शक। पर चीन के बारे में पढ़ने पर जो बात सामने आती है कि जिस तरह से वह प्रगति कर रहा है, उसके अनुसार वहां प्रदूषण मुक्त ऊर्जा का प्रयोग अच्छी तरह सोच समझ कर होने लगा है।

भारत में अभी हम छुद्र मुद्दों से जूझ रहे हैं, पर चीन ग्रीन रिवोल्यूशन का अगुआ बनने जा रहा है। ऊर्जा टेक्नॉलॉजी में चीन का मुकाबला विकसित राष्ट्र नहीं कर पा रहे। आप जरा यह पन्ना देखें। 

थॉमस फ्रीडमैन के ब्लॉग पर हॉंग कॉंग के चीफ एग्जीक्यूटिव श्री सी.एच. तुंग का एक उद्धरण है –

“औद्योगिक क्रान्ति के समय चीन सो रहा था। सूचना-तकनीक की क्रान्ति के समय वह नींद से जग रहा था। पर वह हरी ऊर्जा क्रान्ति में पूरी तरह भागीदारी करेगा।”

चीन अपने विकास की दर बढ़ाये रखने के साथ साथ कार्बन उत्सर्जन को वर्तमान स्तर पर दबाये रखने अथवा कम करने पर प्रतिबद्ध लगता है; और हम लोग अभी तेलंगाना/नक्सलवाद/सड़क परियोजनाओं के लिये जमीन अधिग्रहण/पाकिस्तान बैशिंग/आतंकवाद आदि से मुस्तैदी से जूझ रहे हैं। मुबारक हो!

भारत में नाभिकीय, सोलर, वायु या जैव ऊर्जा के मामले में अभी शोशागीरी ही दीखती है। मुझे नहीं लगता कि अगले पांच छ साल में अपने घर में सौर ऊर्जा से बिजली की जरूरतें पूरी कर सकूंगा।

ए.एम. रेडियो पर वैकल्पिक ऊर्जा विषयक कार्यक्रम आता है। जिसमें पिद्दी से प्रयोगों को भविष्य की क्रांति का सूत्रपात करते बताया जाता है – सरकारी तरीके से।

चीन से मुझे कोई प्रेम नहीं। पर अपने देश में स्वच्छ ऊर्जा का मामला बहुत गम्भीरता से लिया जा रहा हो – लगता नहीं। हम लोग समय नष्ट तो नहीं कर रहे?   


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

29 thoughts on “हरी ऊर्जा क्रान्ति, भारत और चीन

  1. चीन से मुझे कोई प्रेम नहीं। पर अपने देश में स्वच्छ ऊर्जा का मामला बहुत गम्भीरता से लिया जा रहा हो – लगता नहीं। हम लोग समय नष्ट तो नहीं कर रहे? …यह विचारणीय तो है.

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  2. कहाँ थे आप जमाने के बाद आए हैं.. शुकर है कि शबाब नहीं ढला।चीन से बहुत कुछ सीखना है हमें। प्रकाश हेतु एल ई डी के प्रचलित हो जाने पर क्रांति आएगी। बहुत कम ऊर्जा की आवश्यकता होने से सोलर शक्ति भी काम करेगी। सरकार की अँगड़ाई टूटेगी।सब होगा लेकिन रेलवे फॉग विजिविलिटी यंत्र जब बना लेगी तब :) दोनों का कोई सम्बन्ध नहीं है और है भी।

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  3. भारत के पास और बहुत महत्वपूर्ण कार्य है …क्यों अपना बहुमूल्य समय और सम्पदा नष्ट करे नए विचोरों को अपनाने में …संगीता जी से सहमत ….!!

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  4. यदि सरकार सोलर सिस्टम बनाने के लिए प्राइवेट कम्पनियों को छुट दे दे तभी काफी हद तक उर्जा के मामले में आत्म निर्भर हो सकते है अभी तो सब्सिडी के बावजूद सोलर सिस्टम आम आदमी की पहुँच से दूर है | इसके उत्पादन बढ़ाने की सख्त जरुरत है |पर शायद हमारा नेत्रित्व एसा नहीं करेगा | सब्सिडी के जरिए अपनी जेबों को भरने का खेल जो जारी रखना है |

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  5. गंभीरता से लेने के लिए भारत के पास कई मुद्दे हैं .. अंधविश्‍वास , बेईमानी , लूटपाट , भ्रष्‍टाचार और इसी प्रकार के कई क्षेत्रों में इसे दुनियाभर में आगे जो बढना है .. इन सब काम के बाद इसके पास समय कहां, जिसे नष्‍ट किया जा सके !!

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  6. गुण तो रावण से सीखने के लिये राम ने लक्ष्मण को भी भेजा था . अच्छाई जो जहां से मिले वहां से प्राप्त करनी चाहिये . सौर उर्जा इस समय सरकार की सब्सिडी के बाद भी पहुन्च से बाहर है . खेतो मे सिचाई के लिये सोलर पम्प लग्भग २५०००० रु का है छूट के बाद भी ७५०००रु का है इतना महन्गा किसान तो अफ़ोर्ड नही कर सकता . यही हाल सोलर लाईट का भी है .

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  7. चीन से मुझे कोई प्रेम नहीं-प्रेरणा लेने के लिए और सीखने के लिए प्रेम की आवश्यक्ता भी नहीं.हालात प्रथम दृष्टा देखे हैं-कहीं हम कम्पेयरेबल भी नहीं है फिलहाल!

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  8. समय तो बेशक नष्ट किया जा रहा है. अगर कुछ ही लोग घर में अपने इन्वर्टर सौर उर्जा से चला सकें तो बिजली की भारी बचत होगी और ग्रिड पर निर्भरता भी कम होगी. मेरी बड़ी इच्छा है की इलाहाबाद वाले अपने घर में ऐसा कर सकूं, मगर कोई जानकारी इस बारे में मिली ही नहीं.

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  9. जरा इधर भी देख लें:…The truth is there are lot of dirty truths hidden behind China's glossy cities and shiny roads. Everybody knows about China's economic miracle, but very few know about the dark side of this story – the people who have been bulldozed out of their house and land to make way for the China shining story….ये रहा लिंक – The 'Avatars' that scare Chinaडिक्टेटरशिप/सेंसरशिप से लाभ तो हैं. डंडे (बंदूक, तोप, टैंक साथ में) के जोर पर पब्लिक डिसिप्लिन बनाए रखना ज्यादा आसान होता है. भारत के साथ यह सुविधा कहां?

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  10. Hopefully I am first today.फ़ायरफ़ॉक्स में नो स्क्रिप्ट एक्स्टेंशन लगा रखा है. मेकेंज़ी साहब कभी दिखे ही नहीं आपके ब्लॉग पर. और भी बहुत कुछ प्रकट हुआ (जैसे चुनिंदा ट्विट्स) जब स्क्रिप्ट्स को अलाउ करके पेज देखा.

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