नत्तू पांड़े नत्तू पांड़े कहां गये थे?
झूले में अपने सो रहे थे
सपना खराब आया रो पड़े थे
मम्मी ने हाल पूछा हंस गये थे
पापा के कहने पे बोल पड़े थे
संजय ने हाथ पकड़ा डर गये थे
वाकर में धक्का लगा चल पड़े थे
नत्तू पांड़े नत्तू पांड़े कहां गये थे?!
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(संजय पेडियाट्रीशियन हैं – नत्तू पांड़े के फैमिली डॉक्टर| नत्तू पांड़े हैं पण्डित विवस्वान पाण्डेय। छोटे हैं तो क्या हुआ, नाम दमदार होना चाहिये न!
श्रीभगवानुवाच
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्।
विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्॥४-१॥
इस अव्यय योग को मैने विवस्वान को बताया। विवस्वान ने इसे मनु को कहा।
और मनु ने इसे इक्ष्वाकु को बताया॥)
कैसे प्रवहित हो उठती है ममता शब्द-शब्द आखर-आखर में यहाँ ! यह है बुजुर्गियत का मुदित होना भी ! यशस्वी नत्तू पांडे ! जय हो !
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सुन्दर !!!
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बहुत खूब आभार।
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विवस्वान चल पड़े है तो दूर तक जाएंगे. तमाम शुभकामनाएं.
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बहुत ही प्यारे है नत्तू पाण्डेय ।very sweet and cute.
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जय हो.. मस्त..प्यार..
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जितने प्यारे नत्तू पांडेय जी .. वैसा ही प्यारा नाम और वैसी ही प्यारी कविता .. धन्यवाद !!
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नत्थू पांडे नत्थू पांडे झूम रहे थे..नाना की रेलगाड़ी में घूम रहे थे..नत्थू पांडॆ की जय हो..मस्त दिख रहे हैं …
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चहुँ ओर आनन्द बिखेरते रहिये नत्तू पांड़े जी ।
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जय! नत्तूलाल की!
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