ब्रिटेन के ग्रामीण अंचल में काम करने वाले पशु चिकित्सक जैम्स हैरियेट के संस्मरणों की पुस्तकें मैने सन 1980 के आसपास पढ़ीं। उनसे परिचय रीडर्स डाइजेस्ट के लेखों के माध्यम से हुआ था। कालांतर में जब मैं रेलवे के स्टाफ ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में प्रधानाचार्य बना तो वहां की लाइब्रेरी में जेम्स हैरियेट की कई पुस्तकें थीं।
अभी पिछले साल मैने जेम्स हैरियेट की “ऑल क्रीचर्स ग्रेट एण्ड स्मॉल” को सोलह घण्टे अपने परिसर में साइकिल चलाते सुना। मैं जेम्स हैरियेट के लेखन का मुरीद हूं। मुझे हमेशा लगता रहा कि भारत में ग्रामीण परिवेश में रहता, काम करता कोई पशु डाक्टर अपने इस तरह के संस्मरण क्यों न लिख पाया। पशु डाक्टर न सही, कोई मनुष्यों का डाक्टर भी क्यों न लिख पाया? यहां गांव देहात में कछवां के मिशन अस्पताल के किसी डाक्टर अब्राट या रामकृष्ण मिशन के एक ऑफशूट सन्यासी द्वारा स्थापित अस्पताल की बातें लोग करते हैं। पर उनके किये काम की कथायें किसी ने विधिवत नहीं लिखी हैं। मुझे भारत के ग्रामीण अंचल में आदमी या गाय गोरू के स्वास्थ्य सुविधाओं के लेखन की कमी हमेशा लगती रही।
अमेजन की व्यवसायिक साइट मन को लुभाती वस्तुयें अपने एप्प पर आपको टार्गेट कर ठेलता रहता है। मुझे ज्यादातर वह पुस्तकें सुझाता है। एक दिन उसने केरल के एक डाक्टर की संस्मरणात्मक पुस्तक – “एक ग्रामीण डाक्टर के रोमांचक किस्से” मुझे सुझाई। पुस्तक का टाइटल मुझे जेम्स हैरियेट की याद दिला गया। पुस्तक किण्डल अनलिमिटेड पर उपलब्ध थी, इसलिये मैने उसे डाउनलोड करने में देर नहीं की।
चार चेप्टर पुस्तक के पढ़े। रोचक थी पुस्तक पर उसकी हिंदी कुछ इस तरह अनुवाद की हुई लगती थी मानो गूगल ट्रांसलेट ने उसे किया हो और उसे बिना सम्पादित-परिवर्धित किये आपको परोस दिया गया हो। मैने पुस्तक का अंगरेजी संस्करण तलाशा, जिसमें मूलत: लेखक ने लिखा था। वह भी किण्डल अनलिमिटेड पर उपलब्ध था। बिना देरी किये वह मैने अपने किण्डल पर उतारा और जल्दी की वह पुस्तक मैने पढ़ डाली।
मैं एक भारतीय जेम्स हैरियेट की तलाश कर रहा था और वह डाक्टर थॉमस टी थॉमस (“एक ग्रामीण डाक्टर के रोमांचक किस्से” के लेखक) के रूप में मुझे मिल गये। अग्रेजी मूल लेखन में डाक्टर थॉमस टी थॉमस (टीटीटी) की सम्स्मरणात्मक पुस्तक शानदार है। टीटीटी केरळ के पठानमिट्टा जिले की पहाड़ी घाटी में बसे मनोरम गांव चित्तर में एक मिशन अस्पताल में चिकित्सक बने। वे और उनकी सहपाठी डाक्टर पत्नी, एनी, एक साथ वहां ज्वाइन किये। वह अस्पताल ही थॉमस दम्पति के कारण पुन: स्थापित हुआ। डाक्टरी की पढ़ाई पूरी कर यह दम्पति केवल आदर्शवाद के बल पर आंचलिक जगह चित्तर में मिशन अस्पताल को पुनर्जीवित करने गये। कितने नौजवान डाक्टर यह आदर्श रखते हैं? गांव भी ऐसा में जहां मूलभूत सुविधायें नहीं थीं, वहां कोई डाक्टर कभी जाने की सोचता भी न था।
युवा टीटीटी और उनकी पत्नी में अगर प्रचण्ड सेवा भाव न होता तो वे कभी केरल के जंगल की सीमा पर बसे चित्तर गांव में जा कर काम न किये होते और उनके बारे में हम कभी जान न पाते!
टीटीटी की पुस्तक का मुझपर प्रभाव यह पड़ा कि मैने उनके द्वारा वर्णित इलाके को जानने का प्रयास किया। गूगल नक्शे पर केरल का वह हिस्सा छाना। वहां की हरियाली, वहां के मंदिर और चर्च, जंगल और हाथी द्वारा जंगली लकड़ी का परिवहन/लदान देख कर इलाके के बारे में समझ विकसित कर पाया। जितना मैने यह किया, उतना अपने को टीटीटी के समीप होता पाया। टीटीटी और उनकी पत्नी बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न समर्पित सामुदायिक डाक्टर दम्पति हैं। वे स्केच भी बनाते हैं, वायलिन बजाते हैं और रसोई में भी प्रयोग करते हैं।
एक ग्रामीण अंचल में समर्पित भाव से काम करने वाला बहुआयामी प्रतिभा का धनी डाक्टर; सरल भाषा में अपने अनुभव लिखने वाला व्यक्ति …. चरित्र मन को छू जाता है। मन होता है टीटीटी से कभी मिला जाये!
अगर आपको यह लगता है कि डाक्टर लोग कांईयाँ होते हैं, स्वार्थी और मरीज को उल्टे उस्तरे से मूंडने वाले, तो टीटीटी की यह पुस्तक बड़े रोचक ढंग से आपका नजरिया बदल देने की क्षमता रखती है।
पुस्तक भारी भरकम नहीं है। अंग्रेजी में पढ़ें तो सरल भाषा में फ्लो मिलेगा और जल्दी ही आप उसे समाप्त कर लेंगे। इस पुस्तक के गुडरीड्स पर रिव्यू भी आकर्षक हैं। लोग पुस्तक को रोचक और महत्वपूर्ण पाते हैं। इसके बाद टीटीटी ने कुछ और पुस्तकें भी लिखी हैं। उनपर हाथ अजमाया जा सकता है।
टीटीटी को पढ़ने के बाद मेरा मन में केरल, पठानमिट्टा, चित्तर, सबरीमाला, तिरुवल्ला आदि जगहों में घूम रहा है। मेरे मित्र मोहनकुमार, जो मेरे साथ उदयपुर में कार्यरत थे और अब रिटायर हो कर कालीकट (कोझीकोड) में रहते हैं, के द्वारा भेजी एक कॉफी-टेबल पुस्तक मेरे सामने है। उसमें केरल का मनमोहक विवरण और चित्र हैं। उसमें सबरीमाला के चटक चित्र मैं देखता हूं। डाक्टर थॉमस टी थॉमस और मोहनकुमार मुझे आकर्षित करते हैं – केरल के अंचल ही ओर।
बेहद कारगर और रोचक जानकारी 👍🏾
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अब अच्छा लग रहा है. आपकी पोस्ट लगातार आने लगीं.
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आपको पढ़ने के लिये धन्यवाद!
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शुक्रिया। यह किताब बड़े भैया को सुझाई जाएगी। वे doctor hain aur depth director health के पद से रिटायर हुए हैं। बहुधा वे अपने संस्मरण सुनाते हैँ।
छत्तीसगढ़ के ही डा परिवेश मिश्रा जी फेसबुक पर अपने संस्मरण डालते रहते हैँ जो अक्सर स्थानीय सांध्य दैनिक में छपता भी है।
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उनसे कहियेगा कि वे तरतीबवार जरूर लिखें। उन्हें शुभकामनायें।
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जी, जरूर
संजीत त्रिपाठी
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