करछना की गंगा

मैने देखा नहीं करछना की गंगा को। छ महीने से मनसूबे बांध रहा हूं। एक दिन यूं ही निकलूंगा। सबेरे की पसीजर से। करछना उतरूंगा। करछना स्टेशन के स्टेशन मास्टर साहब शायद किसी पोर्टर को साथ कर दें। पर शायद वह भी ठीक नहीं कि अपनी साहबी आइडेण्टिटी जाहिर करूं!

करछना
करछना

अकेले ही चल दूंगा किसी रिक्शा/तांगा/इक्का में। कुछ दूर ले जायेगा वह। फिर बता देगा गंगा घाट का रास्ता। अगर पैदल चलने में कोई पड़ी चाय की दूकान तो चाय पीने में भी कोई गुरेज़ न होगा। ज्यादा फिक्र न करूंगा कि गिलास या कुल्हड़ साफ है या नहीं। यूंही इधर घूमूंगा गंगा किनारे। कुछ तो अलग होंगी वहां गंगा मेरे घर के पास की गंगा से। फिर पत्नीजी का दिया टिफन खा कर शाम तक वापस लौटूंगा इलाहाबाद।

कोई किसान मिलेगा, कोई दुकानदार, कोई केवट। चावल के खेत कट चुके होंगे। फसल अब खलिहान नहीं जाती तो वहीं थ्रेशिंग हो रही होगी। दस बारह साल की लडकी होगी झोंटा बगराये। अपने छोटे भाई को कोंरा में लिये मेड़ पर चलती। …

बहुत जानी पहचानी, कुछ अप्रत्याशित लिये होगी यह मिनी यात्रा। कहें तो नीरज जाट की घुमक्कड़ी। कहें तो पर्यटन। यह सिर्फ “घर की ड्योढ़ी” पार करने के लिये होगा एक उपक्रम।

समकालीन सृजन का एक अंक है “यात्राओं का जिक्र” विषय पर। उस अंक के सम्पादक हैं अपने प्रियंकर पालीवाल जी। उन्होने मुझे यह अंक दो साल पहले मेरे कलकत्ता जाने पर दिया था। मेरे लिये संग्रहणीय अंक। अपने संपादकीय में प्रियंकर जी लिखते हैं -  

यात्रासंस्मरण  अंतरसांस्कृतिक हों या अंतरराष्ट्रीय, या अपने ही देश की के विभिन्न इलाकों की यात्रा का वृत्तान्त; साहित्य की अत्यन्त लोकप्रिय विधा हैं। प्रश्न यह भी है कि हाशिये की विधा होने के बावजूद यात्रा साहित्य की लोकप्रियता का राज क्या है? —

हाशिये की विधा? मुझे यह पसन्द आया। साहित्य में ब्लॉगरी भी हाशिये की चीज है। ट्रेवलॉग भी हाशिये की चीज। साहित्य के पन्ने के दोनो हाशिये बढ़ कर पन्ने को दबोचें तो क्या मजा आये! बेचारा साहित्य तो टें बोल जाये। Winking smile 

कितना टें बोला है, यह तो प्रियंकर जी बतायेंगे।

करछना की गंगा के माध्यम से शुरुआत, साहित्य के टें-करण में मेरी तुच्छ सी हवि होगी। पर होगी क्या?  


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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