शैलेश का उत्तराखण्ड के लिये प्रस्थान

अगर इस देश की आत्मा है; तो उसका स्पन्दन महसूस करने वाले लोग शैलेश पाण्डेय जैसे होंगे!

इलाहाबाद स्टेशन पर शैलेश पाण्डेय
इलाहाबाद स्टेशन पर शैलेश पाण्डेय

कल दोपहर में मैं इलाहाबाद रेलवे स्टेशन गया। शैलेश पाण्डेय ने कहा था कि वे उत्तराखण्ड जा रहे हैं, सो उनसे मिलने की इच्छा थी।

25 जून को शाम संगम एक्प्रेस पकड़ने का कार्यक्रम था उनका। मैने अपने दफ्तर का काम समेटा और इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पंहुच गया उनसे मिलने। फोन पर पता किया तो वे बाजार में उत्तराखण्ड के प्रवास के दौरान काम आने वाली रिलीफ सामग्री खरीद रहे थे। मुझे स्टेशन मैनेजर साहब के कमरे में इंतजार करना था लगभग आधा घण्टा। वहां बैठे मैं पाल थरू की पुस्तक “घोस्ट ट्रेन टू द ईस्टर्न स्टार” के पन्ने पलट रहा था, जिसमें ओरहान पामुक को ऐसा व्यक्ति बताया गया था, जो “इस्ताम्बूल” की आत्मा पहचानता है। उसी समय मुझे विचार आया था शैलेश के बारे में, जो मैने ऊपर लिखा है।

शैलेश घुमक्कड़ हैं – लगभग पूरा भारत घूम चुके हैं – अधिकांश अपनी मोटर साइकल पर। एक समाज सेवी संस्था चलाते हैं वाराणसी में। फौज से ऐक्षिक सेवानिवृति लिये हैं और जुनून रखते हैं सोच और काम में। आप उनके ट्विटर प्रोफाइल [ @shaileshkpandey ] से उनके बारे में ज्यादा जान सकते हैं। उनकी यात्राओं और उनके कार्य के बारे में जानकारी उनके ब्लॉग से भी मिल सकेगी।

लगभग आधे घण्टे बाद शैलेश मिले। उनके साथ एक अन्य सहयोगी सरजू थे। दोनो के पास पिठ्ठू थे और दो गत्ते के डिब्बों में रिलीफ सामग्री। शैलेश धाराप्रवाह बोल सकते हैं – बशर्ते आप अच्छे श्रोता हों। वह मैं था। उन्होने बताना प्रारम्भ किया – भईया, ये जो पतलून और टीशर्ट पहन रखी है, महीना भर उसी में काम चलाना है। वही धो कर सुखा कर पहना जायेगा। एक गमछा है बैग में। और ज्यादा की जरूरत नहीं।

दूर दराज में बिजली नहीं होगी, सो एक सोलर चार्जर रखा है जो मोबाइल आदि चार्ज कर दिया करेगा। मुझे इण्टीरियर गांव में जाना है वहां। असल में तीर्थयात्री/पर्यटक की फिक्र करने वाले बहुत होंगे उत्तराखण्ड में। दूर दराज के गावों में जहां बहुत तबाही हुई है, वहां कोई खास सहायता नहीं मिली होगी।  मैं वहां जाऊंगा। यहां से मैं हरिद्वार जा रहा हूं। वहां से ऋषिकेश और आगे रुद्रप्रयाग में एक जगह है फोता। वहां पहुंचकर स्थानीय भाजपा के लोगों से भी सम्पर्क करूंगा। … एक गांव में जा कर बच्चों को इकठ्ठा कर मेक-शिफ्ट स्कूल जैसा बनाने का विचार है। … आपदा के समय सब से उपेक्षित बच्चे ही होते हैं!

एक महीना वहां व्यतीत करने का विचार है। उसकी तैयारी के साथ जा रहा हूं। कुछ लोगों ने सहायता देने और हरिद्वार में जुड़ने की बात कही है; पर मैं उसे बहुत पक्का मान कर नहीं चल रहा हूं। ये सरजू और मैं – हम दोनो की टीम है।

अपने साथ मैं इलेक्ट्रानिक रक्तचाप नापने वाला उपकरण ले जा रहा हूं। और साथ में कुछ दवायें हैं – मसलन डायरिया के उपचार के लिये, अस्थमा के लिये इनहेलर्स, वाटर प्यूरीफायर टेबलेट्स…

मेरे जैसे कुर्सी पर बैठे विचार ठेलने वाले को एक कर्म क्षेत्र के व्यक्ति से मिलना और सुनना बहुत अच्छा लग रहा था। शैलेश मुझसे 18-19 साल छोटे हैं। एक पीढ़ी छोटे। मेरी पीढ़ी ने तो देश लोढ़ दिया है। या तो बेच खाया है या अपने निकम्मे पन से पंगु कर दिया है। आशा है तो शैलेश जैसे लोगों से है।

मैने शैलेश को सहेजा है कि इस दौरान अपनी गतिविधियों से मुझे अवगत कराते रहें; जिसे मैं ब्लॉग पर प्रस्तुत कर सकूं। उन्होने इस विचार को अपनी स्वीकृति दे दी है। सो आगे आने वाले दिनों में इसकी सूचना मैं देता रहूंगा।

मैं शैलेश को स्टेशन पर छोड़ कर चला आया। उनकी ट्रेन लगभग एक घण्टा बाद चली। इस बीच सरजू को पता चला कि उत्तरप्रदेश सरकार से बंटने वाला लैपटॉप उसे 1 जुलाई को मिलेगा, तो उसकी यात्रा स्थगित हो गयी। अब सरजू शैलेश से 2 जुलाई को चल कर जुड़ेगा। शैलेश फिलहाल चल अकेला मोड में  चले इलाहाबाद से।

शैलेश और सरजू
शैलेश और सरजू

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

11 thoughts on “शैलेश का उत्तराखण्ड के लिये प्रस्थान

  1. श्वः सहस्त्रादद्दैकाकिनी श्रेयसी ।
    (कल के हज़ार से आज की कौड़ी अच्छी है अर्थात जुलाई के लैपटॉप इक्छुक समाजसेवी से आज का समाजसेवी ही अच्छा है) ।
    शैलेश पाण्डेय जी को साधुवाद, ईश्वर उन्हें शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करें ।

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    1. सरजू के कमिटमेण्ट को मैं कम नहीं मानूंगा। बी.ए. का विद्यार्थी है। लगता नहीं कि बहुत रिसोर्स वाला है। उत्साही नौजवान है।
      लैपटॉप की बहुत अहमियत है। हफ्ते भर में ले कर पंहुच जायेगा कर्म क्षेत्र में।

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  2. dheron shubhkaamnaen unko..jis uddeshya se ye yaatra shuru ki hai,wo usmein safal rahein..aur swayam bhi swasth va sakushal rahein..Sena se alag to kya hain to sainik..ek rakshak.. !

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  3. अच्छा लगा शैलेश से मिलकर। उनको यात्रा एवं प्रवास के लिये मंगलकामनायें। वे अपने उद्धेश्य में सफ़ल हों।

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