शैलेश पाण्डेय – वाराणसी से नागालैण्ड यात्रा विवरण – 3 #ALAKH2011

राजबारी, दीमापुर के प्रस्तरखण्ड
राजबारी, दीमापुर के प्रस्तरखण्ड

पिछली पोस्ट में शैलेश दीमापुर पंहुचे थे 11 नवम्बर की रात में कामरूप एक्स्प्रेस से। उसके बाद दीमापुर में एक दिन व्यतीत किया और अगले दिन 13 नवम्बर को वहां से कोहिमा के लिये प्रस्थान किया। उसका भेजा विवरण :-

नवम्बर 12, दीमापुर में।

सवेरा जल्दी हो जाता है दीमापुर में। पूर्वोत्तर में जल्दी ही होता है। दुकानें आठ बजे पूरी तरह खुल चुकी हैं।

दीमापुर महत्वपूर्ण स्टेशन है रेलवे का। पर मेरी समझ नहीं आता कि काहे इतना चलताऊ स्टेशन बनाया गया है इसको सुविधाओं के हिसाब से। और कल तो कामरूप एक्स्प्रेस में गुवाहाटी के बाद पानी ही नहीं था। यह तो पक्का है कि पूर्वोत्तर को वह भाव नहीं मिल रहा जो मिलना चाहिये।

नागालैण्ड के डिप्युटी कमिश्नर का दफ़्तर दीमापुर में।
नागालैण्ड के डिप्युटी कमिश्नर का दफ़्तर दीमापुर में।

मैं दस बजे तक नागालैण्ड के डिप्युटी कमिश्नर के दफ़्तर पंहुच गया हूं। नागालैण्ड की यात्रा के लिये इनरलाइन परमिट लेना होता है।

इनरलाइन परमिट के लिये  जारी कूपन।
इनरलाइन परमिट के लिये जारी कूपन।

इसी दफ़्तर से मिलता है वह। आपको फार्म भर कर अपने स्थायी निवास का प्रमाणपत्र नत्थी करना होता है। उसके बाद एस.डी.ओ. सिविल के पास व्यक्तिगत रूप से पेश होना होता है। पेशी बाद आपको फाम आई.एल.पी.शाखा में जमा करा होता है। वहां वे आपका वेब कैमरा से चित्र लेते हैं और वे आपको फार्म जमा करने का कूपन देते हैं। कूपन के साथ परमिट लेने को 12 बजे बाद आना पड़ता है।

यह बहुत प्रिय नहीं है – पूर्वोत्तर को कमोबेश नियंत्रण में रखा जा रहा है – सड़क, रेल, नेटवर्क के द्वारा। बहुत खराब दशा है नेटवर्क की। मेरे पास एयरटेल और सेल-वन के सिम हैं। खराब दशा दोनो की।

कल मैं कोहिमा के लिये निकलूंगा।

अकेले?

हां भईया। यहां की उपेक्षा और मेरी अपनी दशा का मुझको भान – कि मैं कुछ विशेष नहीं कर सकता; मुझे मायूस करते है। यह देख कर क्रोध भी आता है कि इस क्षेत्र का कई व्यापारिक समुदायों ने सतत दोहन किया है।

ओह, कोई तो तरीका होगा कि इस दशा में भी प्रसन्न रहा जाये। … अपनी अपेक्षाओं को कम करके रखने से शायद यह हो सके।

काश यह इतना आसान होता! काश मैं अपने देखने-परखने में गलत होता!

मैने ये प्रस्तरखण्ड देखे – राजबारी, दीमापुर में। किस लिये होंगे? 

नवम्बर’13; 2014

दीमापुर से कोहिमा, बस से रवानगी।
दीमापुर से कोहिमा, बस से रवानगी।

सवेरे नौ बजे शैलेश ने अपनी बस से रवानगी का चित्र भेजा। दीमापुर से कोहिमा के लिये।

कोहिमा 74 किलोमीटर दूर है दीमापुर से। जाने के तीन विकल्प हैं: बस – 100रुपये; शेयर्ड टेक्सी – 220रुपये; पूरी टेक्सी 880रुपये। दीमापुर से निकलते ही लगता है जैसे स्वर्ग में आ गये।

कल तो मायूस /अवसादग्रस्त हो रहे थे। आशा है वह अवसाद दूर हो गया।

अवसाद का निमित्त तो शेष है; पर उसके लिये कुछ करने की मेरी सोच के कारण मेरी स्पिरिट्स में उछाल है! 🙂

शेष भाग – 4 में।

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

2 thoughts on “शैलेश पाण्डेय – वाराणसी से नागालैण्ड यात्रा विवरण – 3 #ALAKH2011

  1. ये प्रस्तरखंड भीम और घटोत्कच के बीच खेले गए चतुरंग की बिसात हैं। डीमापुर का शास्त्रीय नाम भी हिडिंबापुर है। 35 बरस हो गए ये अवशेष देखे हुए, फिर देखकर अच्छा लगा।

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  2. पूर्वोत्तर की उपेक्षा देश की सुरक्षा के लिए घातक हो सकती है।
    सारी बुराइयों के बावजूद मोबाइल नेटवर्क के मामले में बी एस एन एल की प्रशंसा करनी पड़ेगी।यह अहसास मुझे बद्रीनाथ में हुआ।

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