यह पास का कस्बा – महराजगंज कैसे पनपा? कैसे इसका बाजार इस आकार में आया? यहां रहने वाले पहले के लोग कहां गये? बाजार ने कौन से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। यातायात के साधन बाजार को किस तरह विकसित करते गये? … ये सवाल मेरे मन में आजकल उठ रहे हैं।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
यह पास का कस्बा – महराजगंज कैसे पनपा? कैसे इसका बाजार इस आकार में आया? यहां रहने वाले पहले के लोग कहां गये? बाजार ने कौन से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। यातायात के साधन बाजार को किस तरह विकसित करते गये? … ये सवाल मेरे मन में आजकल उठ रहे हैं।