सूर्यमणि तिवारी, हर्ष मिश्र और नचिकेता

सूर्यमणि तिवारी

सूर्यमणि तिवारी मेरे शुभचिंतक हैं। अपने परिवेश से ऊपर उठ कर उन्होने मात्र धन ही अर्जन नहीं किया है, सज्जनता और लोककल्याण की प्रवृत्ति भी उनमें संतृप्त है। वे मुझसे कहते रहते हैं कि मैं तुलसीदास को पढ़ूं। शायद उन्हें लगता है कि मैं जो पढ़ता हूं, उसमें आत्मविकास का तत्व सीधा नहीं होता। वह सेकुलर पठन सरीखा होता है। “तुलसी के पढ़अ, ओहमें कुलि बा” (तुलसी को पढ़ो, उसमें सब कुछ है)।

एक दिन उन्होने मुझे कठोप्निषद पर एक संत के वीडियो संदेशों का लिंक दिया। स्वामी अभयानंद के लगभग एक घण्टे के करीब पचास वीडियो हैं कठ-उपनिषद पर।

कठ उपनिषद हमारे प्रमुख उपनिषदों में प्रमुख है। मुझे उससे परिचय स्वामी चिन्मयानद ने कराया था। स्वामी जी बिट्स पिलानी में विजटिंग फेकल्टी थे। साल में एक दो बार आते थे। मैं अपने इंजीनियरिंग विषयों के अलावा एक ह्यूमैनिटीज विषय का भी छात्र था – Cultural Heritage of India. उस विषय में उन्होने कई कक्षायें ली थीं, और उपनिषदों से परिचय कराया था। अत: मुझे गर्व है कि मैं स्वामी चिन्मयानंद जैसे महान संत का शिष्य रह चुका हूं।

सूर्यमणि तिवारी जी ने जब कठोप्निषद की बात कही, तो मुझे अपने पुराने दिन याद हो आये। इस उपनिषद का मुख्य पात्र है नचिकेता। दस-इग्यारह साल का बालक। सत्व, सरलता और जीवन के उच्चतर मूल्यों से ओतप्रोत। यम से वह जो तीन वर मांगता है, वह विलक्षण है। उससे उसकी बुद्धि की तीक्ष्णता भी स्पष्ट होती है, और सरलता भी।

हर्ष मिश्र बांये और नारायण प्रसाद सिंह दांये

उस दिन मैं गंगा तट पर घूम रहा था। अकेला। अचानक दो लड़के आते दिखे। वे करार के किनारे खड़े हो कर गंगा को निहारने लगे। मैंने उन से बातचीत की। यहीं पास में द्वारिकापुर में रहते हैं। बड़े का नाम है नारायण प्रसाद सिन्ह और छोटे का हर्ष मिश्र। नारायण के पैर में चप्पल थीं, हर्ष मात्र एक कच्छा पहने नंगे पैर था।

दोनों गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल के छात्र हैं। नारायण ने बताया कि वे चौथी क्लास में हैं, पर हर्ष ने बताया कि चौथी पास कर पांचवी में गये हैं। इस साल परीक्षायें नहीं हुई हैं। हर्ष को याद रहा कि उन सब को अगली कक्षा में प्रोमोट कर दिया गया है, पर नारायण को वह ध्यान नहीं था। हर्ष की तीक्ष बुद्धि का अंदाज मुझे इस कथन से लग गया।

हर्ष मिश्र

हर्ष अपने नाम के अनुरूप प्रसन्न बालक लगा। प्रश्नों के उत्तर देने में भी वही आगे था। उसने बताया कि अभी आठवीं क्लास तक वह इसी स्कूल में पढ़ेगा। उसके बाद की पढ़ाई बड़े स्कूल में होगी। स्कूल में पढ़ाई ठीक ही होती है। रोज वह गंगा स्नान करने आता है। शरीर से छोटा होने के बावजूद भी वह ज्यादा समझता है।

उसने मेरे फोन को देख कर पूछा – एप्पल है? फिर खुद ही बोला, नहीं, शायद सेमसंग है। “फोटो अच्छी आ रही हैं इसमें। मेरी फोटो भी अच्छी आयी है। इस लिये कि मैं हमेशा खुश रहता हूं…।”

वह बालक यह जानता था कि प्रसन्न रहने पर छवि अच्छी बनती है।

लगभग 10-11 साल के बच्चे के अनुपात में मुझे उसका स्तर बहुत अच्छा लगा। गांव के सरकारी स्कूल में भी उस जैसा बालक हो सकता है, यह मेरे लिये सुखद आश्चर्य था। अन्यथा मैं यह मान कर चलता था कि इन स्कूलों में दर्जा सात आठ के बच्चे भी ठीक ठीक पढ़-बोल नहीं सकते।

मुझे अचानक नचिकेता की याद हो आई। कठ उपनिषद का वह नायक भी 10-11 साल का ही रहा होगा। पर अपनी जिज्ञासा और मेधा से उसने यम जैसे “कठिन” देवता को न केवल प्रभावित कर लिया था, वरन छोटी सी उम्र में वह ज्ञान पा लिया था, जिसे पाने के लिये साधक जन्म जन्मांतर एड़ियां घिसते हैं।

हर्ष को देख कर मुझे लगा कि कठोप्निषद मात्र काव्य कल्पना नहीं। ऐसा पात्र, ऐसा नायक, हो सकता है।

नारायण प्रसाद सिंह।

आगे कभी द्वारिकापुर गांव में जा कर उस बालक से और उसके पिता से मिलने का प्रयास करूंगा। पर फिलहाल तो हर्ष मिश्र से उस मुलाकात से कठ पढ़ने में एक अलग आनंद आ रहा है। शायद यह उस बच्चे को देख कर मेरी अपनी बुनी हुई कल्पना है। पर भविष्य का नायक कभी बच्चा होता ही है। कभी मैं भी तख्ती ले कर, टाट की बोरी बगल में दबाये, बिना चप्पल, धारी दार नेकर और बनियान पहने गांव के प्राइमरी स्कूल में जाता था। आज ईश-केन-कठ-प्रश्न-मुण्ड-माण्डूक्य आदि की बात कर रहा हूं।

(पोस्ट स्क्रिप्ट – तुम उस बालक हर्ष में अपने बचपन को तो नहीं देख रहे थे, जीडी?)

अपने आस पास घूमते देखो, जीडी। भारतीय मनीषा के बीज तुम्हें हर जगह बिखरे नजर आयेंगे।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

One thought on “सूर्यमणि तिवारी, हर्ष मिश्र और नचिकेता

  1. बहुत ही उम्दा लिखावट ,बहुत आसान भाषा में समझा देती है आपकी ये ब्लॉग धनयवाद इसी तरह लिखते रहिये और हमे सही और सटीक जानकारी देते रहे ,आपका दिल से धन्यवाद् सर
    Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Ankit

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