नेशनल हाईवे 19। अब सर्विस लेन करीब अस्सी प्रतिशत बन गई है। सवेरे खाली भी मिलती है। साइकिल चलाने या रुक कर किसी से बात करने में वह हाईवे वाला जोखिम नहीं है।
मैं सवेरे अपने साइकिल व्यायाम अनुष्ठान का पालन कर रहा था। तभी वह व्यक्ति जाता दिखा। कमर थोड़ी झुकी हुई। पर चाल तेज। पैर में जूते और कपड़े भी साफ। एक थैला लपेट कर बांये हाथ में पकड़े था और दाएं में लाठी।
सवेरे सूरज की रोशनी में अच्छा चित्र लगा खींचने के लिए।

साइकिल तेज कर उस व्यक्ति के बगल में आ मैंने बात की। दो गज की दूरी बनाए रखी – कोरोना काल का लिहाज रखते हुए। “बाजार (महराजगंज कस्बा) से आ रहे हैं या सवेरे की सैर पर निकले हैं?”
उन सज्जन के उत्तर ने मुझे आश्चर्य चकित कर दिया। बताया कि औराई (आठ किलोमीटर दूर) से आ रहे हैं। कोई सवारी नहीं मिली तो पैदल ही चल दिये। बाबू सराय तक जाना है – आगे चार किलोमीटर और चलना है। औराई में लड़के से मिलने गए थे। लाइन मैन है बिजली विभाग में। रंगनाथ मिश्र की कृपा से नौकरी लगी थी।
बाबू सराय में घर है?
“नहीं, वहां मेरा ननिहाल है। रहने वाला हूँ सिकंदर पुर, जिला चंदौली का। यहां लोगों का हाल चाल लेने आया था। अब वापस लौट जाऊंगा।”
मुझे लगा कि इस वृद्ध को अगर कोई सवारी-साधन न मिले तो क्या पता चंदौली के लिए भी पैदल ही निकल पड़े! 😆
उन्होंने नाम बताया भरत पटेल। मैंने कहा – एक फोटो ले लूँ?

भरत पटेल ने हंस कर कहा – “ले लीजिए। दांत एक भी नहीं हैं!” अपना मुंह पूरी तरह खोल कर दिखाया भी। भरत जी की एक आंख छोटी है, पर है। मैंने उन्हें ध्यान से देखा – सिर घुंटाया हुआ। साफ कपड़े। गमछा और कुर्ते का कॉलर खराब न हो, उसके लिए नीचे रुमाल। सुरुचि पर्याप्त थी भरत पटेल में।
उम्र पूछने पर सही सही नहीं बता सके भरत जी। बोले अस्सी पचासी होगी। मैने कहा – अस्सी पार होने पर भी आप इतना आराम से इतना लंबा चल ले रहे हैं। पता नहीं आपकी उम्र में मैं चल पाँऊगा या नहीं।

“जरूर चल लेंगे। खूब बढ़िया से चल पाएंगे।” – भरत जी ने मुझे आश्वस्त किया। अब भरत जी को यह थोड़े ही मालूम है कि मुझे अॉस्टियो अर्थराइटिस है और एक किलोमीटर भी चलने में घुटने और कूल्हों में दर्द होता है।
अस्सी पार का व्यक्ति, बारह किलोमीटर सामान्य चाल चलने का स्टेमिना और उम्रदराज होने पर भी अपने नाते रिश्तों से मेल मिलाप हेतु यात्रा करने का ज़ज्बा – अपने ननिहाल तक से रिश्ता जीवंत रखना – यह सामान्य बात नहीं है। मुझे अच्छा लगा कि भरत पटेल जी से सवेरे मुलाकात हुई।
दीर्घ, तंदुरुस्त और प्रसन्न जीवन के कुछ सूत्र मिले मुझे!
जय हो, भरत पटेल जी!
so nice coverage Respected Pandey ji
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हमेशा की तरह सजीव चित्रण वास्तविकता और दार्शनिकता से परिपूर्ण।।
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