कोरोना काल में इस बूढ़ी पीढ़ी के पास एक काम आ गया है। और वह काफी मेहनत से उसे करती दिखती है। … जय हो, इन दादाजी की!
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
कोरोना काल में इस बूढ़ी पीढ़ी के पास एक काम आ गया है। और वह काफी मेहनत से उसे करती दिखती है। … जय हो, इन दादाजी की!