सावन में बाबा विश्वनाथ के कुछ “बम”

मौसम अच्छा था। मेघ-आच्छादित। बारिश नहीं थी। उस साल सावन के महीने में उमस के कारण अब तक कांवरियों की भीड़ देखने निकला नहीं था। मौसम अच्छा होने के कारण उस दिन मैं बटोही (अपनी साइकिल) के साथ निकल लिया।

घर से निकलते ही 600 मीटर पर नेशनल हाइवे है। NH19 – वाराणसी को जाता हुआ। बांई ओर की आधी सड़क कांवरियों के लिये रिजर्व है। उसपर साइकिल सवार भी चले जाते हैं। मैं भी चला – कांवरियों की दिशा के उलट। साथ में नोकिया का पुराना फ़ीचर फोन, जिससे साइकिल चलाते हुये भी आसानी से फोटो क्लिक किया जा सकता है। साइकिल पर चलते में अच्छे चित्र तो नहीं आते, पर जो देखा, वह दर्ज हो जाता है 99% मामलों में।

26 जुलाई 2017 की फेसबुक नोट्स पर इसे पहले पहल पोस्ट किया था। जो अब फेसबुक की बदली पॉलिसी के कारण वहां उपलब्ध नहीं है। पोस्ट अब कुछ परिवर्तित/परिवर्धित कर दी है। मेरे लैपटॉप की गैलरी में उपलब्ध सभी चित्रों का उपयोग किया है।

सावन में तीसरा सप्ताह था। कांवरियों की संख्या ठीकठाक दिखी। मुझे देख कई चलते चलते कह रहे थे – बोल बम। उत्तर में मैं हाथ हिला रहा था। एक आध बार कह भी दे रहा था – बोल बम! ‘बोल बम’ का उत्साह संक्रामक होता है। कुछ कुछ मुझमें भी हो रहा था।

अनेक प्रकार के ‘बम’ थे शंकर जी के। कांवरिये मूल भावना – प्रयाग (या अन्य स्थान) से सावन में गंगाजल ले कर बाबा विश्वनाथ के लिंग पर चढ़ाने की आस्था के अतिरिक्त हर मनुष्य अपनी अपनी विविधता लिये था।

कुछ के चित्र ले पाया। वे प्रस्तुत हैं।

बन्दर बम – यह काले मुंह वाला बन्दर भी कांवरियों में था। उसके साथ चलते नौजवान ने बताया कि जब बहुत छोटा था, तब से पाल रखा है इसे।

मुझे बताया कि यह बंदर बम पहले भी कांवर यात्रा में शरीक हो चुका है। लोगों के बीच काफी अनुशासित था। फिर भी, मुझे उसके समीप जाने में भय जरूर लगा! … बंदर मोबाइल देख कर जाने कैसा व्यवहार करे?! वह लोगों के बीच बैठा था और उसके स्वामी के अलावा और लोग भी कुछ न कुछ दे रहे थे।

महिला बम। यह अकेले चल रही थी। कांवरियों में लगभग 0.2% महिलायें हैं। तीन किलोमीटर में मुझे तीन दिखीं।

इस साल महिलायें ज्यादा थीं, पहले की अपेक्षा। और यह अकेली तेज चलती महिला कांवरिया तो ज्यादा ही आत्मविश्वास से भरी लग रही थी।

झांकी बम – यह झांकी नुमा कांवर अपने तरह की अनूठी थी।

झांकी बम लिये और भी कांवरिये थे। और भी बेहतर/बड़ी झांकी नुमा कांवर लिये। इस साल यह नया फैशन था, जो दिखा। झांकी सिर पर ले कर चलने में अतिरिक्त वजन तो होता है, पर उससे अन्य लोग आकर्षित होते हैं। आस्था भी कुछ परसेण्ट ज्यादा दिखती/लगती हो। कुल मिला कर मुखे लगा कि भविष्य में झांकी -बम ट्रेण्डी हो जायेंगे और झांकी बनाने वालों का कारोबार चमकेगा।

सड़क बम – सावन भर अन्यथा बहुत व्यस्त रहने वाला यह हाईवे इस समय कांवरियों की प्रॉपर्टी है। आराम से बैठे हैं उसपर। बीचोंबीच। एक जगह मैने कांवरियों को सड़क पर व्यायाम करते और अपना गमछा सुखाते भी पाया।

हाईवे का आधा हिस्सा उनके हवाले होने के कारण कांवरियों में महीने भर के लिये स्वामित्व की अनुभूति अवश्य होती है। वे सड़क के बीचो बीच बैठ कर यही दर्शा रहे थे!

तेज बम – उनका समूह सवेरे तेजी से चल रहा था। वे डाक-बम (दौड़ कर अनवरत चलने वाले) तो नहीं थे; पर सवेरे सवेरे काफ़ी दूरी दाब दे रहे थे।

हर कांवरिया अपने चलने में दूरी, समय और आगे बैठने, विश्राम करने या नहाने धोने का मानसिक गुणा-गणित बिठाता चलता है। उसी क्रम में ये कांवरिये सवेरे मौसम का लाभ ले कर ज्यादा से ज्यादा दूरी तय करना चाहते थे। या, इनको बाबा विश्वनाथ ज्यादा ही अपनी ओर खींच रहे थे; कह नहीं सकते।

योगी बम – यह बन्दा डीजे के शोर पर नाच रहा था। मैने फोटो लेने का उपक्रम किया तो वह अपना चेहरा आगे करने लगा। मैने कहा, तुम्हारे मुंह का नहीं, पीठ का फोटो लेना है। योगी-बम का!

योगी की नयी नयी सरकार बनी और वे किसी भी ‘स्टार’ से कम नहीं हिंदू नौजवानों में। योगी का सितारा उसके बाद और भी चमका है और मोदी के बाद वे सबसे अनूठे वोट कैचर बने हैं भाजपा के लिये। यह टी-शर्ट उसी का आभास दे रहा था।

बालक बम – मैने उससे उम्र पूछी तो साथ चलने वाले ने बताया दस साल।

दस साल का बालक। थोड़ा कष्ट में लगता था। पर यात्रा पूरी करने के बाद जीवन पर्यंत इसे याद रखेगा – अपनी पहली कांवर यात्रा को। :-)

समूह बम – इस समूह में किशोरी भी थी, बालक भी।

मैंने करीब आधा घण्टा व्यतीत किया सड़क पर। कुछ और नये प्रकार का बम नहीं दिखा तो घर वापस हो लिया।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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