करीब एक दर्जन घर हैं धईकारों के। वे सब बांस के सामान बुनते हैं। रीता पाण्डेय ने एक महिला, बदामा, से बातचीत की। एक उसौनी खरीदी।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
करीब एक दर्जन घर हैं धईकारों के। वे सब बांस के सामान बुनते हैं। रीता पाण्डेय ने एक महिला, बदामा, से बातचीत की। एक उसौनी खरीदी।