पॉडकास्ट का अपना अलग शऊर है, अपना अलग आनंद। आप इस विषय पर पॉडकास्ट सुनने का कष्ट करें। उम्मीद है यह अच्छा ही होगा। डा. रविशंकर ने उसमें बड़े पैशन से बोला है – वे आर्कियालॉजी ओढ़ते बिछाते हैं।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
पॉडकास्ट का अपना अलग शऊर है, अपना अलग आनंद। आप इस विषय पर पॉडकास्ट सुनने का कष्ट करें। उम्मीद है यह अच्छा ही होगा। डा. रविशंकर ने उसमें बड़े पैशन से बोला है – वे आर्कियालॉजी ओढ़ते बिछाते हैं।