पॉडकास्ट का अपना अलग शऊर है, अपना अलग आनंद। आप इस विषय पर पॉडकास्ट सुनने का कष्ट करें। उम्मीद है यह अच्छा ही होगा। डा. रविशंकर ने उसमें बड़े पैशन से बोला है – वे आर्कियालॉजी ओढ़ते बिछाते हैं।
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कालीन मजदूरों की वापसी – भदोही से लातेहार
जाते जाते देखा; उनमें से एक पोलियोग्रस्त पैर वाला भी था। बैसाखी लिये। बेचारे मजदूर। एक साइकिल पर दो लोग चलने वाले। कैरियर पर बैठ कर। हर एक के पास एक साइकिल भी नहीं थी। उन्हे देख मुझे सरकार पर क्रोध भी हुआ। पर उस क्रोध का क्या जो कोई समाधान न दे सके!
डेल्हीवरी के नीरज मिश्र
नीरज अपने नियमित कस्टमर से आत्मीय सम्पर्क भी रखते हैं। मुझे पैर छू कर प्रणाम करते हैं – संक्रमण काल में थोड़ा दूरी से।
पेंट माई होम, तिउरी के राकेश का हुनर
द्वारिकापुर के ग्रामीण द्वारा अपने घर की दीवार पर चित्र पेंट कराना आकर्षक लगा मुझे. कभी मुझे भी अपने घर में दीवारों पर कुछ पेंट कराने का मन हुआ तो तिउरी के इस कलाकार को तलाशूंगा.
विजय बहादुर बिन्द और दिघवट का टीला
विजय बहादुर बिन्द की झोंपड़ी है दिघवट के टीले पर। वह टीला, जिसको सरसरी निगाह से देखने पर भी 2500 साल पहले की सभ्यता के दर्शन हो जाते हैं – पुरानी बिखरी ईटों और मृद्भाण्ड के टुकड़ों के माध्यम से। वह झोंपड़ी तो टीले की ग्राम सभा की जमीन पर है। झोंपड़ी तो यूं हीContinue reading “विजय बहादुर बिन्द और दिघवट का टीला”