आज सुंदर नाऊ सवेरे घर पर मेरे सैर में आने के पहले ही मौजूद थे। उन्होने अनुमान लगा लिया था कि मेरे बाल काटने लायक हो गये हैं। वैसे भी जहां कंही भी सुंदर दिखता है, मैं उसे उसकी पूरी समग्रता में देखता हूं, पर वह मेरे बाल को ही देखता है। आकलन कर लेता है कि कितने और दिन लगेंगें जब मुझे बाल कटाई की दरकार होगी।
अब खैर, उसे टरकाने का कोई कारण नहींं था। बाल कनपटी को छूने लगे थे। आगे के बाल भी माथे को पूरी तरह छेंकने लगे थे।

सुंदर को उसकी कैंची-उस्तरा सेनीटाइज करने को कहा गया। उसकी कंघी की बजाय मेरी अपनी कंघी ला कर दी गई। मेरा गमछा भी इस्तेमाल हुआ। मग में पानी लाया गया। मैंने अपनी टीशर्ट-पैण्ट उतार कर अपने को बनियान कच्छे के परिधान में रूपांतरित किया, तब सुंदर का काम प्रारम्भ हुआ।
मेरी हेयर कटिंग में कोई खास कलात्मकता की जरूरत नहीं। आजकल के नौजवान लोग जो बंगला कट बाल कटाते हैं, वह नहीं चाहिये। उसके लायक सिर पर बाल बचे ही नहीं हैं। कभी कभी लगता है कि नाऊ की जरूरत ही नहीं, एक सस्ता ट्रिमर काम कर सकता है। पर सुंदर का आना अच्छा लगता है। वह चला आता है तो कुछ बातचीत हो जाती है।
आधा दर्जन पोस्टें सुंदर नाऊ सर्च करने पर ब्लॉग पर हैं। 🙂
सुंदर की करीब सौ घरों की जजमानी है। यहां पसियान में जजमान हैं और भगवानपुर के बाभन और राय लोग। जजिमानी में शादी ब्याह, मरनी करनी वही निपटाता है। बताया कि एक शादी में 2-ढाई हजार मिल जाता है। वही रेट मृत्यु के संस्कारों में नाऊ के काम का है। उसने बताया कि साल में बीस पचीस शादियाँ हो जाती हैं। लगभग उतनी ही मरनी भी। “इस साल तो मरनी बहुत हुईं।”
उसका यह स्टेटमेण्ट मेरे लिये अर्थपूर्ण था। मैंने पूछा – “कब हुई? इस साल अप्रेल मई में?”
“हां। तबई। उंही समय बरात भी रहीं और मरनी भी।”
सुंदर के इस इनपुट्स से स्पष्ट हो गया कि कोरोना की दूसरी वेव के दौरान गांव में ज्यादा मौतें हुईं, यद्यपि यहां एक भी केस कोरोना का टेस्ट किया नहीं था। यही हाल और भी स्थानों का रहा होगा।

बाल काटने का काम निपटने को आया तो सुंदर ने मेरी पत्नीजी को आवाज लगाई – “बहिन, तनी देखि ल। ठीक कटा बा कि नाहीं।”
उसे मालुम है कि बाल काटने का अंतिम अप्रूवल बहिन से ही मिलेगा। वही निरीक्षण कर बतायेंगी कि कहां दो बाल उड़ाने हैंं, कहां छोटे करने हैं। काम की ग्रेडिंग तो उन्ही से मिलेगी। ग्रेडिंग भी उन्ही से मिलेगी और पैसा भी। अगर बहिन प्रसन्न हो जायें तो दस पांच ज्यादा भी लह सकता है।
वह कटका स्टेशन पर गुमटी वाले सलून पर भी बैठता है। वहां का रेट 20 रुपया बाल कटाई का है और 15 रुपया शेव का। घर पर बाल कटाई के मेरी पत्नी जी, मूड के हिसाब से 40 से 60/70 तक दे देती हैं। इस बार पचास पाया। बाल काटने के बाद वह बाल बटोर कर फैंकता भी है। उसके हाथों में जोर नहीं बचा, पर सिर पर चम्पी करने का अनुष्ठान भी निभाता है। वह मुझे अपना आधार कार्ड दिखाता है जिसमें उसकी डेट ऑफ बर्थ 1-1-1960 भरी है। पर वह 4-5 साल ज्यादा भी हो सकती है। “अंदाजै से लिखी है तारीख। कौनो जनम पत्री थोडौ रही हमार।” – वह बताता है।
मैं भी पहले के समय का व्यक्ति हूं और सुंदर भी। आने वाली पीढ़ी यूं घर पर कच्छा-बनियान में बाल नहीं कटायेगी। स्टाइलिश बाल कटाने के लिये बनारस जायेगी। और ज्यादा जोर होगा तो सिंगापुर। हम तो ईंटालियन (ईंट पर बैठ कर बाल बनवाने वाले) सेलून युग के जीव हैं! 😆
कोविड ने घर पर ही बाल काट लेना सिखा दिया और अब उतने बचे भी नहीं कि कटिंग करवाने जाया जाए। 🙂 कभी मन होता है कि हम भी कह पाएं -बाल माथा घेर रहे हैं 🙂
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खोपड़ी का अलग अलग स्टाईल है. आपकी आगे से खाली हुई है, मेरी बीच से. बाल खाली और महीन दोनों के हुए होंगे उम्र के अनुसार. बाकी, आपके अगर आगे से खाली हुए हैं तो स्थापित मान्यताओं के अनुसार आप ज्यादा धनी हैं. 😁
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जब बहिनी से पूछ लिया तब जीजाजी क्या बता पायेंगे कि कहाँ गलत कटा है।
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हाहाहा! 😁
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यहां सिंगापुर में बारह सिंगापुर डॉलर जो करीब छह सौ रुपए होते हैं, साफ स्वच्छ वातानुकूलित सैलून में आधुनिक यंत्रों द्वारा कोरोना के पूर्ण प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, पांच से आठ मिनट में बाल कटिंग कर देती हैं और तुरत-फुरत सिर, चेहरे व फर्श पर बिखरे बालों को वैक्यूम क्लीनर से बालों के आगार में जमा कर देती हैं।
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वाह. सस्ता है वो तो! मैं सोचता था जेब खाली करा लेते होंगे. 😁
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Gaon dehat sarv sulabh cost friendly
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हाँ, यह ‘रईसी’ गांवदेहात में ही सम्भव है! 🙂
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