पांच – सात साल में जो डिजिटल विस्फोट हुआ है – गांवदेहात के स्तर पर भी; वह अभूतपूर्व है। गांवों की डिजिटली निरक्षर जनता की पटरी डिजिटल सुविधाओं से बिठाने के लिये संतोष गुप्ता जैसे लोगों की बहुत आवश्यकता है।
मेरे आकलन में संतोष गुप्ता जी का सौम्या मोबाइल सेण्टर रोअरिंग बिजनेस करता है। निबड़िया रोड, महराजगंज में एक ट्विन-शॉप है। मुख्यत: जनरल स्टोर है जिसमें कोई अधेड़ सज्जन या कभी कभी कोई महिला टॉफी-बिस्कुट, साबुन, तेल आदि सामान की बिक्री करते दिखते हैं। पर सामने एक ऑफिस नुमा दुकान लगाये संतोष दिखते हैं। जनरल स्टोर का ऑनलाइन पेमेण्ट का हिसाब/मैसेज संतोष के मोबाइल पर जाता है; इसलिये कहा जा सकता है कि जनरल स्टोर और सौम्या मोबाइल सेण्टर – दोनो संतोष जी के हैं।
जनरल स्टोर नहीं, संतोष का मोबाइल सर्विस सेण्टर मुझे आकर्षित करता है। मैं पहले पहल उनसे मिला था, अपना खोया हुआ सिम कार्ड रिस्टोर कराने के लिये। उसके बाद सिम कार्डों की पोर्टेबिलिटी के लिये कई बार उनके यहां आना जाना रहा। गांवदेहात में कभी कोई नेटवर्क ठीक काम करता है और कभी कोई और। मेरे द्वारा सिम कार्डों को जियो, एयरटेल और वोडाफोन में बारबार नचाया गया। अब जा कर उसकी सेवायें कुछ स्थिर हो पाई हैं; जब ये कम्पनियाँ अपने रेट काम लायक बना कर अपनी सेवाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देने लगी हैं।
लेकिन मैंने देखा कि संतोष केवल सिम कार्ड सम्बंधी सेवायें नहीं प्रदान करते। उनके पास कई तरह की डिजिटल ऑनलाइन और ऑफलाइन समस्याओं के लिये लोग आते हैं। और उनकी सेवायें निश्चय ही उनके नाम के अनुकूल संतोषप्रद हैं – तभी भीड़ हमेशा दिखती है। सवेरे सात-आठ बजे भी लोग आना शुरू हो जाते हैं।

मैंने पूछा – आप किन किन समस्याओं का क्या क्या समाधान प्रोवाइड करते हैं?
इस प्रश्न के उत्तर में संतोष एक लम्बी लिस्ट बताते हैं –
- एटीएम या आधार कार्ड से बैंक खातों से पैसा निकालना या जमा करना।
- यूनियन बैंक, औराई शाखा का बैंक खाता खोलना और उसका पूरा केवाईसी वेरीफिकेशन दुकान में बैठे बैठे सम्पन्न करना।
- मोबाइल री-चार्ज, सिम सम्बंधी सभी समस्याओं का निराकरण।
- विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन और विकलांग पेंशन पंजीकरण की ऑनलाइन प्रक्रिया।
- आय, जाति और निवास प्रमाणपत्र बनवाना। ये प्रमाणपत्र पुख्ता होते हैं और अन्य माध्यमों यथा आधार के लिये उनकी उपयुक्तता होती है।
- फोटो की पासपोर्ट साइज प्रतियाँ निकालना और किसी भी दस्तावेज की फोटोकॉपी तुरंत उपलब्ध कराना।
- किसी भी दस्तावेज या कार्ड का लैमिनेशन करना।
- परीक्षा का एडमिट कार्ड निकालना और/या परीक्षा रिजल्ट उपलब्ध कराना।
- इत्यादि।
उक्त लिस्ट मैंने अपनी स्मृति के आधार पर लिखी है। हो सकता है कुछ गलत भी लिखा हो या कई अन्य महत्वपूर्ण आईटम छूट गये हों।
इसके अलावा भी अनेकानेक ऑनलाइन कार्य हैं जो व्यक्ति खुद नहीं कर पाते, उनके लिये संतोष जी की शरण में आते हैं। कई बार भीड़ होने पर जब लोगों को इंतजार करना होता है तो एक दो लोगों को मैने यह कहते भी पाया – कोई टोकन नम्बर दे दीजिये। जिससे बाकी काम निपटा कर आपके पास काम कराने के लिये आयें। … बहुत कुछ वैसा ही जैसे डाक्टर के यहां मरीजों को लाइन लगाने का टोकन नम्बर मिलता है! 😆
मैं संतोष जी से पूछता हूं – कितने ग्राहक आते होंगे दिन भर में? हजार? या सौ?
संतोष गुप्ता जी नॉन कमिटल जवाब देते हैं। पर बीच में यह भी मुंह से निकल जाता है कि एक बार आ कर दुकान पर बैठने के बाद कभी कभी खाना खाने तक को भी समय नहीं निकल पाता।
मैंने उनसे पूछा – आधार कार्ड सुधार सम्बंधी काम नहीं करते? मेरी उंगलियों के फिंगर प्रिण्ट कभी कभी आधार वाला पहचानता नहीं। एक बार फिर से वह सुधरवाना है।
संतोष का कहना था – “वैसे ही इतना काम है कि आधार सुधार केंद्र वाला काम पकड़ने के लिये समय ही नहीं निकाल सकता।”

एक लैपटॉप, दो प्रिण्टर, एक दो मोबाइल, आधार वेरीफिकेशन वाली मशीन और लैमीनेट करने का गैजेट – यह उनकी दुकान पर दिखे। इनमें से कई उपकरण मेरे पास हैं और बाकी जुगाड़े जा सकते हैं। मैं संतोष से परिहास करता हूं – यहीं बगल में मैं भी ऐसी दुकान खोल कर बैठना चाहता हूं। बतौर कम्पीटीटर! 😀

पिछले पांच सात साल में डिजिटल प्रयोग का जो विस्फोट हुआ है – शहरों में ही नहीं, गांवदेहात के स्तर पर; वह अभूतपूर्व है। गांवों की डिजिटली निरक्षर जनता की पटरी डिजिटल सुविधाओं से बिठाने के लिये संतोष गुप्ता जैसे लोगों की बहुत आवश्यकता है। बहुत से इस काम में हाथ आजमाते दिखते भी हैं, पर कार्यकुशल कम ही लोग दिखते हैं और सिंगल विण्डो में इतनी सारी सुविधायें रखने वाले भी सभी नहीं हैं। कई लोग खराब इण्टर्नेट नेटवर्क का रोना रोते भी दीखते हैं। … पर इस फील्ड में काम की सम्भावनायें हैं बहुत।
मैं संतोष जी की दुकान से चलने को होता हूं तो तीन ग्राहक आ टपकते हैं। उन्हें बैंक से पैसे निकालने हैं, बैंक में पैसे जमा करने हैं और एक सज्जन को बैंक खाता खुलवाना है। बैंक में जमा करने वाली महिला शायद अकाउण्ट नम्बर गलत लिख लायी है। खाता खोलने वाले कहते हैं कि उन्हे कल कहा था कि सवेरे जल्दी आ जायें, तो वे दस मिनट पहले ही आ गये हैं। अब उनका काम कर दिया जाये!

अगर मेरे पास पेंशन का सहारा न होता और घूमने, फोटो खींचने, ब्लॉग लिखने में रस न मिलता तो मैं भी संतोष जी की बगल में डिजिटल फेसीलिटेटर सर्विस शुरू करने की जरूर सोचता। 🙂
संतोष जी को हाथ बँटाना ऑफ़र करिए कुछ घंटो के लिए पार्ट टाइम शेयरिंग पर 😊
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सुझाव के लिए धन्यवाद समीर जी. उनके बारे में यह लिखना भी मेरे हिसाब से पार्ट टाईम शेयरिंग ही है! पैसा तो वे शेयर करने से रहें. 😊
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संतोषजी को समाज की आवश्यकताओं का अच्छा ज्ञान है। उनकी व्यवसायी समझ तो अच्छी है ही, मन में सहायता का भाव अपार है।
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