6 सितम्बर 2021, सवेरे:
यह नहीं सोचा था : शंकर भगवान अपने भक्त का कस जरूर निकालते हैं, पर कभी कभी उसके लिये व्यवस्था भी अनूठी कर देते हैं।
यह सब अगर महादेव भगवान प्रेरित मिरेकल माना जाये तो यह विश्वास हो जाता है कि शंकर जी से बड़ा कोई ‘कलाकार’ देव, देवाधिदेव हईये नहीं!
मेरे घर से जब प्रेमसागर पाण्डेय, द्वादश ज्योतिर्लिंग के कांवरिया जी रवाना हुये तो तो मुझे अपेक्षा यही थी कि रास्ते में, किसी शिवाला, किसी राह चलते व्यक्ति के ओसारे में या कभी किसी पीपल-नीम के नीचे रात्रि विश्राम की ठांव मिलेगी। कभी उन्हें भोजन भी नहीं मिलेगा और अपने पास रखे सत्तू – चिवड़ा – चीनी से काम चलाना पड़ेगा।
यह नहीं सोचा था; शंकर भगवान अपने भक्त का कस जरूर निकालते हैं, पर कभी कभी उसके लिये व्यवस्था भी अनूठी कर देते हैं।
कल प्रेम सागर पांड़े को चलना खूब पड़ा। उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश की चेकपोस्ट के बीच करीब पांच किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ी। उसके बाद प्रवीण दुबे जी की कृपा से वन विभाग के लोग उनके सम्पर्क में आ गये। रींवा से कोई रावत जी, इलाके के फॉरेस्ट रेंजर शंकर जी आदि के बारे में वे मुझे फोन पर गदगद भाव से बताते हैं। प्रेम सागर जी को यह अपेक्षातीत लगा होगा। उन्होने बताया कि प्रवीण जी ने खुद फोन कर उनकी खैर पूछी और आश्वस्त किया!
*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है। नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ। और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है। पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |
यह सब अगर महादेव भगवान प्रेरित मिरेकल माना जाये तो यह विश्वास हो जाता है कि शंकर जी से बड़ा कोई ‘कलाकार’ देव, देवाधिदेव हईये नहीं! 😁
रेंजर साहब – शंकर जी – ने बताया कि मध्यप्रदेश सीमा पर तो उनके पास ठहरने की व्यवस्था नहीं है, हनुमना में रेस्ट हाउस है। शंकर – रेंजर जी और देवाधिदेव जी, दोनो नें – उन्हे और चलने को ठेला! और हनुमना में वन विभाग के रेस्ट हाउस में उन्हें ठहरने को कमरा मिला! प्रेम सागर फोन पर बताते हैं कि मोटामोटी पैंतालीस किलोमीटर चलना हो गया। थकान इतनी थी कि उनकी नींद हो सामान्यत: चार बजे के पहले खुल जाती है, आज सवेरे पांच बजे खुली।

मैंने प्रेम जी को रेस्ट हाउस के चित्र लेने को कहा था। उन्होने अपने मोबाइल से ले कर भेजे। हमेशा की तरह उनकी पिक्सल कम है। चित्र लेते समय उनका हाथ भी शायद हिल जाता है। पर काम लायक चित्र आ ही जाते हैं। ये हैं केयर टेकर भगवती जी और रेस्ट हाउस –
आज सवेरे सवा छ बजे मैंने प्रेम सागर जी से बात की। वह बातचीत इस पॉडकास्ट में समाहित है। उनके माध्यम से ऑस्टियोअर्थराईटिस वाला मैं भी पद यात्रा कर रहा हू; मेरा ब्लॉग लिखना ही मेरी पद यात्रा है। आप पॉडकास्ट सुनें। चित्रों की तरह फोन की आवाज भी कुछ फेडेड है। पर जैसा महादेव बनवा रहे हैं, वैसी है। 😆
जीजा जी यह कृपा महादेव की है महादेव प्रेम शंकर जी को प्रेरित करके आगे बढ़ाते रहेंगे और उन्हीं की प्रेरणा से आपका सानिध्य और सहयोग मिला और महादेव आगे भी उनकी व्यवस्था को करते रहेंगे।
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बिल्कुल। सब मिराकेल ही लगता है! 🙂
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महादेव की कृपा हो तो रास्ते सुगम होते जाते है , ऐसा लगता है वो मेरे ही घर के सदस्य है हम उनके लिए कुछ करते
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आपकी शुभकामनायें बहुत महत्व रखती हैं कृष्ण देव जी.
धन्यवाद, टिप्पणी करने के लिए!
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बड़ी उत्सुकता से हम ये पदयात्रा फॉलो कर रहे हैं | हम तक ये पहुँचाने के लिए धन्यवाद। 🙂
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आपको उन सज्जन की गतिविधि में जिज्ञासा के लिए धन्यवाद अनिंदिता जी. वह निश्चय ही उनके संकल्प को दृढ़ करने के लिए सहायक होगी.
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महादेव की पूरी कृपा है। यात्रा ऐसी चलती रहे, हम ऐसे ही जानते रहें।
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बिल्कुल! महादेव उनके मन में कभी विरक्ति या उदासीनता या हतोत्साह का भाव न लायें। लोग अगर मिलते रहे और उनका उत्साहवर्धन करते रहे तो उनमें पर्याप्त संकल्प है असम्भव दिखते कार्य को कर गुजरने का।
शिव जी के भक्त होते ही जुनूनी हैंं! 🙂
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