वैसे सर्दी बढ़ रही है – उस इलाके में भी। सवेरे के उनके चित्रों में लोग गरम कपड़े लिये दिखते हैं। शायद प्रेमसागर ने तड़के निकल पड़ने में अपने वस्त्रों और सर्दी का ध्यान नहीं रखा। तभी हरारत या बुखार हुआ होगा।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में रह कर ग्रामीण जीवन जानने का प्रयास कर रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर; पर ट्रेन के सैलून को छोड़ गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
वैसे सर्दी बढ़ रही है – उस इलाके में भी। सवेरे के उनके चित्रों में लोग गरम कपड़े लिये दिखते हैं। शायद प्रेमसागर ने तड़के निकल पड़ने में अपने वस्त्रों और सर्दी का ध्यान नहीं रखा। तभी हरारत या बुखार हुआ होगा।