10-11-2021 –
आज एक और दिन रुक गये हैं प्रेमसागर अलीराजपुर में। बताया कि एक सूची बना रहे हैं कि मध्यप्रदेश में यात्रा के दौरान कहां कहां रुके और वहां अनुभव कैसा रहा। “दोपहर-शाम तक बना लूंगा। आपको मेल कर दूंगा। आप प्रवीण भईया को दे दीजियेगा।”
प्रवीण चंद्र दुबे जी ने उनकी यात्रा के प्रबंध में बहुत सक्रिय भूमिका निभाई है। इतना कोई प्रेमसागर के घर का भी नहीं करता। सो उन्हें फीडबैक मिलना ही चाहिये। देखें, प्रेमसागर कितना ऑब्जेक्टिव फीडबैक देते हैं। … मुझे बहुत अपेक्षा नहीं है पर प्रेमसागर हमेशा सरप्राइज करते रहे हैं। शायद अब भी करें अपने फीडबैक में।
[वैसे सर्दी बढ़ रही है – उस इलाके में भी। सवेरे के उनके चित्रों में लोग गरम कपड़े लिये दिखते हैं।]
वैसे सर्दी बढ़ रही है – उस इलाके में भी। सवेरे के उनके चित्रों में लोग गरम कपड़े लिये दिखते हैं। शायद प्रेमसागर ने तड़के निकल पड़ने में अपने वस्त्रों और सर्दी का ध्यान नहीं रखा। तभी हरारत या बुखार हुआ होगा। उन्हें अपने भोजन में विटामिन, मिनरल्स और इम्यूनिटी बूस्टर्स का ध्यान रखना चाहिये। उन्होने बताया कि रखते हैं।
कल दिन भर आराम करने और नींद निकालने में लगाया; आज भी प्रेम सागर अलीराजपुर में रहेंगे और अपनी ऊर्जा री-कूप करने का प्रयास करना चाहिये।

प्रवीण जी और मैं बात कर रहे थे। हम लोगों को उनकी भविष्य की यात्रा को ले कर फिक्र और आशंकायें हैं। पर हम दोनो पाते हैं कि प्रेमसागर बेफिक्र हैं। सब कुछ महादेव पर छोड़ दिया है। प्रेमसागर से हमें सीखने के लिये बहुत कुछ है – इसपर हम दोनो एकमत थे।
प्रेमसागर ने हमें – प्रवीण जी और मुझे; और सुहृद बना दिया है। पहले से कहीं ज्यादा और उस मैत्री के नये आयाम हम खोज रहे हैं।
हर हर महादेव!
प्रेमसागर पाण्डेय द्वारा द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा में तय की गयी दूरी (गूगल मैप से निकली दूरी में अनुमानत: 7% जोडा गया है, जो उन्होने यात्रा मार्ग से इतर चला होगा) – |
प्रयाग-वाराणसी-औराई-रीवा-शहडोल-अमरकण्टक-जबलपुर-गाडरवारा-उदयपुरा-बरेली-भोजपुर-भोपाल-आष्टा-देवास-उज्जैन-इंदौर-चोरल-ॐकारेश्वर-बड़वाह-माहेश्वर-अलीराजपुर-छोटा उदयपुर-वडोदरा-बोरसद-धंधुका-वागड़-राणपुर-जसदाण-गोण्डल-जूनागढ़-सोमनाथ-लोयेज-माधवपुर-पोरबंदर-नागेश्वर |
2654 किलोमीटर और यहीं यह ब्लॉग-काउण्टर विराम लेता है। |
प्रेमसागर की कांवरयात्रा का यह भाग – प्रारम्भ से नागेश्वर तक इस ब्लॉग पर है। आगे की यात्रा वे अपने तरीके से कर रहे होंगे। |
सुबह टहलने में हमें भी ठंड का धोखा हो गया और तीन दिन तक नाक बहाते रहे। अब पैक होकर निकलते हैं।
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आगे धोखा नहीं होगा, इसका पुख्ता इंतजाम किया जाए. सिर पर टोपी जरूर रहे. ठंड सिर से घुस जाती है.
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