यहां ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पण के साथ प्रेमसागर ने आंकड़े में 25 प्रतिशत यात्रा-ध्येय सम्पन्न कर लिया है। बारह में से तीन ज्योतिर्लिंग उन्होने पदयात्रा में देख लिये हैं। प्रिय-अप्रिय (लगभग प्रिय ही) अनुभव उन्हें हुये हैं।
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प्रेमसागर के साथ लूट, ॐकारेश्वर से पहले
प्रेमसागर से मेरी लूट के पहले बात हुई थी डेढ़ बजे पर लोकेशन अपडेट नहीं हो रही थी। मैंने सोचा था कि शायद जंगल में नेटवर्क खराब होने यह होगा। पर दोपहर दो-तीन बजे यह हादसा हो गया होगा, यह कल्पना में भी नहीं था!
चोरल वन खण्ड और शनि मंदिर
चोरल के जंगल में बघेरे तो बहुत हैं। हर दूसरे तीसरे दिन खबर आती है कि आसपास के गांवों में किसी की गाय मार गया या किसी की बकरी उठा ले गया। … लोग भी हैं, गांव भी हैं, पालतू जानवर भी हैं और बघेरे भी। सब सामान्य चलता है।
इंदौर में और फिर चोरल की ओर
आज सवेरे पांच बजे प्रेमसागर चोरल के लिये रवाना हुये। चोरल इंदौर के अतिथि गृह से 36 किलोमीटर दूरी पर है। शुरू के बाईस-चौबीस किलोमीटर मालवा के पठार पर हैं। उसके बाद नर्मदा घाटी प्रारम्भ होती है।
एक दिन में उज्जैन से इंदौर, पैदल 60 किमी चलना हुआ
महाकाल आरती के समय डमरू बजाने वाले – जीतू, शुभम और लकी – प्रेमसागर से मिलना चाहते थे। पर जब पता चला कि वे इंदौर के लिये निकल चुके हैं तो वे लोग पीछे दुपहिया वाहन पर आये और रास्ते में प्रेमसागर से मिले।
देवास से उज्जैन और उज्जैन में
पहले प्रतीक्षा में एक घण्टा बैठना पड़ा। फिर चार से पांच बजे के बीच महाकाल का सिंगार हुआ और उसके बाद एक घण्टा भस्म आरती। श्मसान की भस्म की आरती। छ बजे बाहर निकल कर उन्होने अपनी एक सेल्फी ली; यादगार के रूप में।