चार पांच हजार का हण्डा केवल शादी के प्रतीक भर में से है। मैंने किसी को उसमें जल रखते नहीं देखा। दूर कुयें से पानी लाने की प्रथा या जरूरत भी खत्म होती गयी है। सिर पर गागर लिये चलती पनिहारिनें अब चित्रों में ही दीखती हैं।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
चार पांच हजार का हण्डा केवल शादी के प्रतीक भर में से है। मैंने किसी को उसमें जल रखते नहीं देखा। दूर कुयें से पानी लाने की प्रथा या जरूरत भी खत्म होती गयी है। सिर पर गागर लिये चलती पनिहारिनें अब चित्रों में ही दीखती हैं।