पेड़ों की कोई भी चीज बेकार नहीं जाती। लोग उन्हें उठाने, काटने, बीनने के लिये सदैव तत्पर रहते हैं। इस मौसम में पत्ते नहीं झर रहे, तो यह भुंजईन जहां भी मिल रहा है, हरे पत्ते भी बीन कर संग्रह कर रही है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
पेड़ों की कोई भी चीज बेकार नहीं जाती। लोग उन्हें उठाने, काटने, बीनने के लिये सदैव तत्पर रहते हैं। इस मौसम में पत्ते नहीं झर रहे, तो यह भुंजईन जहां भी मिल रहा है, हरे पत्ते भी बीन कर संग्रह कर रही है।