किरीट सोलंकी के चित्र

किरीट जी पचहत्तर साल के हैं। उम्र के साथ उनकी समस्यायें हैं। पर उनका रोना नहीं रोते पाया उन्हें। उनका एक ब्लॉग है। ट्विटर पर अकाउण्ट है। इंस्टाग्राम पर भी है। उनकी लिखी पोस्टें छोटी छोटी हैं – लगभग वैसी जैसा मैं ब्लॉगिंग के शुरुआती दौर में हिंदी में लिखता था। उनमें विस्तार नहीं है। विस्तार उनके स्केचेज में है। उनकी फोटोग्राफी में भी होगा, पर उनका इंस्टाग्राम अकाउण्ट प्राइवेट है, इसलिये उसे देख नहीं पाया।

विस्तार किरीट सोलंकी जी के स्केचेज में है।

वे मोबाइल पर उंगलियों से स्केच करते हैं। और कितनी सधी हुई रेखायें हैं। रेखाओं और रंगों में कुछ भी ‘अतिरिक्त’ नहीं है। और उनमें प्रकृति के प्रति स्नेह झलकता है।

किरीट सोलंकी

किरीट रेलवे के परमानेण्ट वे इंस्पेक्टर (पीडब्ल्यूआई) से इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी बने थे। वे अजमेर रेल मण्डल में थे और काफी समय उन्होने भचाऊ (गांधीधाम, गुजरात से करीब 40किमी पहले; सन 1980 के आसपास) में काटा। वहां वे सम्भवत: जूनियर इंजीनियर थे।

भचाऊ की मेरी स्मृति वहां आये भीषण भूकम्प से हुई तबाही की हैं। उससे पहले भचाऊ का नाम भी नहीं सुना था। पता नहीं सन 2001 के उस भूकम्प के समय वे कहां पदस्थ थे।

उनके ब्लॉग में भचाऊ के आसपास बाढ़ का जिक्र है। सन 1979 में बाढ़ में मोरबी का मच्छू बांध टूट गया था। रेल की पटरी बह गयी थी। बांध टूटने से करीब 25 हजार लोग मारे गये थे। किरीट जी का काम ट्रैक ठीक कराना था।

कच्छ के रन में सिविल इंजीनियर की जिंदगी – अगर उनकी उस दौरान की स्मृतियां अभी भी ताजा हैं – जानने लायक चीज होगी। शायद वे कभी बतायें। उनके उस दौरान के चित्र तो कम ही होंगे। तब शायद डिजिटल फोटोग्राफी उतनी परवान न चढ़ी हो। और रील वाले कैमरे से फोटोग्राफी काफी मंहगी हुआ करती थी। … कभी उन्होने बताया तो एक और भुवन शोम जैसी कृति सामने आ सकती है। बहुत सम्भावनायें हैं किरीट जी में!

किरीट जी की पत्नी नहीं हैं। केन्सर से उनका निधन हो चुका है। उनके एक स्केच में पत्नी की याद है Life Without You, Rohini. मेरे मन को छू गया यह स्केच।

पचहत्तर की उम्र। शारीरिक समस्यायें। जीवन साथी का विछोह। और अनुभवों का एक लम्बा कालखण्ड! किरीट सोलंकी अगर मेरे सम्पर्क में रहे तो सोचने और लिखने को बहुत कुछ होगा। शायद रेलवे भी उसमें हो – वह पक्ष जिसपर मैंने अभी तक कुछ खास लिखा नहीं है।

किरीट जी की जय हो!

[उक्त स्केच मैंने किरीट जी की अनुमति बिना इस्तेमाल किये हैं। आशा है वे इसको अन्यथा नहीं लेंगे।]


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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