साम्यवाद तारतार हो गया मेरे जीवन के दौरान। समाजवाद (भारत में) परिवारवाद मात्र बन कर रह गया है। पूंजीवाद क्या इसी तरह खत्म हो कर टेक-सामंतवाद को इलाका सौंप दे देगा? आगे क्या होगा, समय ही बतायेगा।
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जैप्रकाश – नरम गरम काम मिल ही जाता है।
काम करने वाले को रोज काम मिल रहा है। अब कोई जांगरचोर हो तो काम अपने से उसके पास तो आयेगा नहीं। गांव में भी काम मिलता है और बनारस में भी।
