फिलहाल यह माहौल तो मेरे साथ बना ही है कि पैदल चल रहा हूं। खूब साइकिल चला रहा हूं और अपने घर के बगीचे के कड़े अमरूद खाने में बगीचे के अनामंत्रित अतिथि – तोतों के झुण्ड – से स्पर्द्धा कर ले रहा हूं।
Author Archives: Gyan Dutt Pandey
गांव की शाम
आज सर्दी कुछ कम है। सियारों की हुआँ हुआँ भी कम ही है। रेलवे स्टेशन पर लूप लाइन में खड़ी ट्रेन का डीजल इंजन ऑन है। हर थोड़ी थोड़ी देर में छींकता है। एक ट्रेन तेजी से गुजर जाती है। अब शायद लूप में खड़ी इस मालगाड़ी का नम्बर लगे।
फोड़ के साइकिल व्यवसायियों के बारे में पुन:
इस अवैध अर्थव्यवस्था में जाने कितने लोगों को ठीकठाक रोजगार मिलता होगा? उनके रोजगार को कहीं आंकड़ों में दर्ज किया जाता है या वे बेरोजगार की श्रेणी में आते हैं?
