पीछे कांधे पर लेने वाला यह पिट्ठू बैग और एक दहिमन की लकड़ी की डण्डी – यही उनका सामान है। कपड़े न्यूनतम हैं। अपनी पोटली में उन्होने सोठउरा, तिल, गुड़ और गोंद का लड्डू और कुछ सूखे मेवे रखे थे। वह मुझे दिखाये भी और चखाये भी।
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विन्ध्याचल और नवरात्रि
चैत्र माह की नवरात्रि। नौ दिन का मेला विन्ध्याचल में। विन्ध्याचल इलाहाबाद से मुगलसराय के बीच रेलवे स्टेशन है। मिर्जापुर से पहले। गांगेय मैदान के पास आ जाती हैं विन्ध्य की पहाड़ियां और एक पहाडी पर है माँ विंध्यवासिनी का शक्तिपीठ। जैसा सभी शक्तिपीठों में होता रहा है, यहाँ भी बलि देने की परम्परा रहीContinue reading “विन्ध्याचल और नवरात्रि”