संतोष की यात्रा


सवेरे की साइकिल सैर के दौरान वह दिखा। कमल के ताल के किनारे बैठा था। साथ में दो गठरियां, एक पानी की बड़ी बोतल जिसमें थोड़ा पानी था, एक दो थैले थे। उसकी आंखें हल्की बंद थीं। जिस तरह से बैठा था और जैसी उसकी उम्र लग रही थी – करीब पचहत्तर साल – मुझेContinue reading “संतोष की यात्रा”

आवअ तनी अरटियावा जाये गुरू!


मैने कोविड के दौरान चीनी महिला फैंग फैंग की वूहान डायरी पढ़ी। उसमें वे आपसी संवाद के लिये वीचैट की चर्चा जब तब करती हैं। वीचैट बहुधा उनकी चैट मॉडरेट कर उतार दिया करता था। पर फिर भी मुझे लगता था कि चीन के पास अपना चैट एप्प है और भारत के पास नहीं। उसमेंContinue reading “आवअ तनी अरटियावा जाये गुरू!”

बीस साल बाद का सीजी भाई


सीजी भाई यानि चैट जीपीटी। मैने उससे आज पूछा – सीजी, वह युग कब आयेगा जब आप मेरे ड्राइंगरूम में मेरे सामने बैठ कर चर्चा करने या मेरी भौतिक सहायता करने में समर्थ हो जायेंगे। अभी तो आपसे चर्चा के लिये लैपटॉप खोल कर या मोबाइल पर इंटरेक्ट करना होता है। सीजी भाई का उत्तरContinue reading “बीस साल बाद का सीजी भाई”

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