मणियवा का बाप अस्पताल में भरती था। करीब सप्ताह भर रहा खैराती अस्पताल में। वहां मुफ्त खाना तो मिलता था, पर सादा। पीने को कुछ नहीं मिलता था। छूटने पर घर आते ही पन्नी (कच्ची शराब की पाउच) का सेवन किया। सेवनोपरान्त अपनी पत्नी पर कुण्ठा उतारने को प्रहार करने लगा। पत्नी बचने को बेबन्दContinue reading “ई पापा बहुत हरामी हौ!”
Author Archives: Gyan Dutt Pandey
नेचुरल जस्टिस – माई फुट!µ
मैं रोज सवेरे शाम दफ्तर आते जाते अनेक पशु-पक्षियों को देखता हूं। लोहे की जाली में या पगहे में बन्धे। उन सबका लोगों की मांग या इच्छा पर वध होना है। आज या कल। उन्होने जब जन्म लिया तो नेचुरल डेथ तक उनका जीने का अधिकार है – या नहीं? अगर है तो उनके साथContinue reading “नेचुरल जस्टिस – माई फुट!µ”
विकास में भी वृक्षों को जीने का मौका मिलना चाहिये
मैने हैं कहीं बोधिसत्त्व में बात की थी वन के पशु-पक्षियों पर करुणा के विषय में। श्री पंकज अवधिया अपनी बुधवासरीय पोस्ट में आज बात कर रहे हैं लगभग उसी प्रकार की सोच वृक्षों के विषय में रखने के लिये। इसमें एक तर्क और भी है – वृक्ष कितने कीमती हैं। उन्हे बचाने के लियेContinue reading “विकास में भी वृक्षों को जीने का मौका मिलना चाहिये”
