हसन जमाल को इंटरनेटेनिया क्यों नहीं हो सकता


बेताल पच्चीसी की तरह इस ब्लॉग पोस्ट में लिंक और पेंच हैं. पहला और डायरेक्ट लिंक है रवि रतलामी का ब्लॉग. उसमें 4-5 लिंक हैं जो आप फुर्सत से वहीं से क्लिक करें. हसन जमाल एक मुसलमान का नाम है. ये सज्जन लिखते हैं. नया ज्ञानोदय जैसे अभिजात्य हिन्दी जर्नल-नुमा-पत्रिका में इनके पत्र/प्रतिक्रियायें छपती हैंContinue reading “हसन जमाल को इंटरनेटेनिया क्यों नहीं हो सकता”

अस्वीकृति को अधिकाधिक आमंत्रण दें


एक चीज जो आधी जिन्दगी के बाद मुझे बढ़िया (?) मिली है वह है – ब्लॉगिंग में अस्वीकृति का अभाव. आप अण्ट-शण्ट जो लिखें छाप सकते हैं.पब्लिश बटन आपके अपने हाथ में है. और भला हो नारद का, कुछ शिकार तो होते ही हैं जो आप की पोस्ट पर क्लिक कर बैठेंगे. पर क्या वास्तवContinue reading “अस्वीकृति को अधिकाधिक आमंत्रण दें”

चिठेरों को टिप्पणी-निपटान की जल्दी क्यों रहती है?


हिन्दी ब्लॉगर्स दनादन कमेंट करते है? कई बार आपको लगता है कि आप (चिठेरा) कह कुछ रहे हैं, पर टिपेरे (टिप्पणीकार) एक लाइन, एक बहुप्रचलित शब्द को चुनकर दन्न से टिप्पणी कर आगे बढ़ जाते हैं. आप का मन होता है कि आप फिर से एक स्पष्टीकरण लिखें. टिपेरों का पुन: आह्वान करें – हेContinue reading “चिठेरों को टिप्पणी-निपटान की जल्दी क्यों रहती है?”

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