उत्कृष्ट का शत्रु


मैने पढ़ा था – Good is the enemy of excellent. अच्छा, उत्कृष्ट का शत्रु है। फर्ज करो; मेरी भाषा बहुत अच्छी नहीं है, सम्प्रेषण अच्छा है (और यह सम्भव है)। सामाजिकता मुझे आती है। मैं पोस्ट लिखता हूं – ठीक ठाक। मुझे कमेण्ट मिलते हैं। मैं फूल जाता हूं। और जोश में लिखता हूं। जोशContinue reading “उत्कृष्ट का शत्रु”

गति और स्थिरता


गति में भय है । कई लोग बहुत ही असहज हो जाते हैं यदि जीवन में घटनायें तेजी से घटने लगती हैं। हम लोग शायद यह नहीं समझ पाते कि हम कहाँ पहुँचेंगे। अज्ञात का भय ही हमें असहज कर देता है। हमें लगता है कि इतना तेज चलने से हम कहीं गिर न पड़ें।Continue reading “गति और स्थिरता”

एक साहबी आत्मा (?) के प्रलाप


मानसिक हलचल एक ब्राउन साहबी आत्मा का प्रलाप है। जिसे आधारभूत वास्तविकतायें ज्ञात नहीं। जिसकी इच्छायें बटन दबाते पूर्ण होती हैं। जिसे अगले दिन, महीने, साल, दशक या शेष जीवन की फिक्र करने की जरूरत नहीं। इस आकलन पर मैं आहत होता हूं। क्या ऐसा है? नोट – यह पोस्ट मेरी पिछली पोस्ट के संदर्भContinue reading “एक साहबी आत्मा (?) के प्रलाप”

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