खेती की रहर (अरहर) थोड़ी सी मिली। एक बोरी। उसको दलवाने के लिये पत्नीजी ने दो महिलाओं को बुलाया। एक दिन उन्होने एक राउण्ड चकरी चला कर उसके टुकड़े किये। दूसरी मंजिल पर उन्होने डेरा जमाया था। चकरी चलने की आवाज गड़गड़ाती हुई दिन भर आती रही मानो आसमान में मेघ गड़गड़ा रहे हों। दालContinue reading “चकरी से दाल दलने का उपक्रम”
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शादी अटेंड करने का मौका
कल 29 अप्रेल 2025। दूज का चांद आसमान में दिख रहा था, पर शादियां अक्षय तृतीया के हिसाब से “चरचरायमान” थीं। #गांवदेहात में खेत खाली थे तो जहां तहां शामियाने सजे थे। कोई मंदिर के मोटिफ वाले तो कोई ताजमहल का फसाड लिये। इन सजावटी शामियानों के आर्कीटेक्चर पर भी एक शोध सम्भव है। उनकेContinue reading “शादी अटेंड करने का मौका”
मकर संक्रांति – गंगे तव स्मरणात् मुक्ति:
<<< मकर संक्रांति – गंगे तव स्मरणात् मुक्ति: >>> रात में जब भी नींद खुली, प्रयाग की ओर जाती रेलगाड़ियां बोझिल और उल्टी दिशा वाली फर्राटे से गुजरती सुनाई दीं। प्रयाग जाने वाली सभी सामान्य और मेला स्पेशल ट्रेने हर स्टेशन पर रुक रही होंगी – इस कटका स्टेशन पर भी। वापसी में खाली गाड़ियांContinue reading “मकर संक्रांति – गंगे तव स्मरणात् मुक्ति:”
