चिलुआ


बारिश का समय गया। अंतिम बार बारिश हुये लगभग दो सप्ताह होने को आया। गंगामाई पीछे हटी हैं। इस बार पीछे हटते समय खालिस रेत नहीं, बहुत सी मिट्टी ला दी है उन्होने घाट पर। लगभग 300-400 कदम जमीन जो छोड़ी है उन्होने, उसमें मिट्टी की मात्रा अधिक होने के चलते काफी दलदल है। वहContinue reading “चिलुआ”

जवाहिर लाल को सर्पदंश


आज बहुत दिनों बाद – लगभग दो-तीन हफ्ते बाद – गंगा तट पर सवेरे गया। ठण्डी हवा तेज थी और गंगाजल में लहरें भी किनारे से टकराती तेज आवाज कर रही थीं। नहाने वाले आठ दस लोग थे। नदी में पानी बढ़ा हुआ था – दूर दूसरे किनारे पर कई वृक्ष जलमग्न दीख रहे थे।Continue reading “जवाहिर लाल को सर्पदंश”

पूर्वोत्तर भारत के बारे में गलत सोच


मेरे सामने ताज बनजारा होटल के डिनर की टेबल पर पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य मालभाड़ा यातायात प्रबन्धक श्री एन.के.. सचान बैठे थे। श्री सचान पिछले साल भर से अधिक हुआ, गुवाहाटी में रह रहे हैं। हम या तो यूंही इधर उधर की बात कर सकते थे, या रेल विषयक दिन की बात चीत काContinue reading “पूर्वोत्तर भारत के बारे में गलत सोच”

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